भोपाल। भारत में शांतिपूर्वक विरोध प्रदर्शन आम नागरिक का संवैधानिक अधिकार है परंतु मप्र की राजधानी में इस संवैधानिक अधिकार का भी हनन हो रहा है। लोगों को शांतिपूर्वक धरना या प्रदर्शन की अनुमति नहीं दी जाती। प्रक्रिया इतनी जटिल बना दी गई है कि छोटे मोटे संगठन तो प्रक्रिया में पिसकर प्रदर्शन का विचार ही त्याग दें, लेकिन मानवाधिकार आयोग ने इस मामले को संज्ञान में लिया है। आयोग ने कलेक्टर भोपाल के निर्देशित किया है कि वो सुनिश्चित करें कि किसी भी व्यक्ति या संगठन के लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन ना किया जाए।
आयोग में मप्र संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ ने बीस दिन पहले शिकायत की थी। महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष रमेश राठौर ने बताया कि आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग से हटाए गए प्रगणकों ने दोबारा नीलम पार्क में धरना देने की इजाजत मांगी थी। इसे देने से प्रशासनिक अधिकारियों ने साफ इनकार कर दिया था। पहले चरण में प्रशासन ने तीन दिन की इजाजत दी थी। इसकी शिकायत संगठन ने की थी।
मानवाधिकार आयोग ने इस मामले को संज्ञान में लेते हुए कलेक्टर भोपाल को नोटिस जारी किया एवं कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं। संविदा कर्मचारी संघ अब सोमवार से अनिश्चितकालीन धरना शुरू करने जा रहा है।