भोपाल। मप्र कांग्रेस ने आज सोमवार को प्रदेश सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि प्रदेश के समस्त शासकीय कॉलेजों में अध्ययनरत अनुसूचित जाति-जनजाति के छात्रों को निःशुल्क प्रदान की जाने वाली पुस्तकों, स्टेशनरी और फीस वितरण किये जाने वाली योजनाओं में करोड़ों रूपयों धोखाधड़ी की गई है।
कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा ने यह गंभीर आरोप लगाते हुए प्रदेश सरकार से सवाल किया कि संवैधानिक प्रतिमानों को धता बताकर मात्र राजनैतिक प्यास बुझाने के लिए जो राज्य सरकार सिंहस्थ महाकुंभ में दलित वर्ग के लिए ‘समरसता-स्नान’ आयोजित कर रही है, उसके ही संरक्षण में दलित छात्र-छात्राओं को प्रदत्त सुविधाओं में भ्रष्टाचार की गंगोत्री में डुबकी लगा रहे मंत्रियों और संबंधित नौकरशाहों के आगे वह आत्म समर्पण क्यों किये हुए है?
मिश्रा ने अपने प्रामाणिक आरोप को स्पष्ट करते हुए कहा कि इस वर्ग के छात्रों की सुविधा के लिए प्रदेश के आयुक्त, उच्च शिक्षा द्वारा 11 जून, 2015 को आदेश क्रमांक 1083/123/आउशि/बजट/2015 जारी कर कहा गया था कि ‘‘समूचे प्रदेश की शासकीय महाविद्यालयों में अध्ययनरत अजा-अजजा वर्ग के प्रत्येक छात्र-छात्राओं को 1500 रूपयों की निःशुल्क पाठ्य पुस्तकें और 500 रूपये की स्टेनशनरी साम्रगी प्रदान की जाये।’’ इस बावत यह भी सुनिश्चित किया गया था कि 5 सितम्बर, 2015 तक की समयावधि में आवश्यक रूप से विषयवार संबंधित पुस्तकें छात्र-छात्राओं को वितरित कर दी जायें।
कांग्रेस द्वारा अपने सहयोगी और आरटीआई कार्यकर्ता प्रदीप अहिरवार के माध्यम से सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 के तहत जो जानकारी प्राप्त की गई उसमें यह बात खुलकर सामने आयी है कि पूरे प्रदेश में लाखों विद्यार्थियों को वितरित की जाने वाली कुल राशि 2000 रूपयों की पुस्तकों एवं स्टेशनरी में औसतन लगभग 400 से 700 रूपये तक का गोलमाल किया गया है। इन सभी कॉलेजों में बुक सेलरों से 22 से 40 प्रतिशत तक पुस्तकों के दाम करायें गये, किंतु खुदरा कीमतों में कोई अंतर नहीं दर्शाया गया है और बीच की कीमत भी हजम कर ली गई। यही नहीं कई कॉलेजों के वितरण रजिस्टरों में सिवाय विद्यार्थियों के फर्जी हस्ताक्षर के अलावा किसी भी प्रकार की प्रविष्टियां नहीं । मिश्रा ने कहा कि प्रदेश में हुआ यह घोटाला करीब 10 करोड़ रूपयों से अधिक का है।