इंदौर। मप्र के सरकारी दफ्तरों में व्याप्त 'बाबूराज' की तकलीफ समझाने के लिए सामान्य प्रशासन विभाग के उप सचिव और राजगढ़ के पूर्व कलेक्टर आनंद शर्मा ने अपनी ही आपबीती सुनाई। उन्होंने बताया कि, जब मैं राजगढ़ कलेक्टर था, पासपोर्ट रिन्यू करना था, मैंने स्थानीय डिप्टी कलेक्टर से आवेदन कागजों पर हस्ताक्षर करा लिए। जब मैं भोपाल पहुंचा तो बाबू ने कागज देखकर फेंक दिए और कहा कि इस पर डिप्टी कलेक्टर के हस्ताक्षर हैं, वह हमारे नियमों के हिसाब से मजिस्ट्रेट नहीं होता।
शर्मा ने बताया कि मैंने काफी समझाने की कोशिश की लेकिन उसने नहीं सुनी। मैं सुबह से शाम तक वहां बैठा और जब मुख्य अधिकारी आए तो मैंने उन्हें सारी बात बताई, लेकिन वह भी बोले कि हम अभी आपका रिन्यू के लिए आवेदन ले तो लेते हैं लेकिन हमारे नियमों के हिसाब से डिप्टी कलेक्टर मजिस्ट्रेट नहीं होता और जब तक जीएडी से एनओसी नहीं आती हम रिन्यू नहीं कर सकेंगे।
मेरे साथ ऐसा व्यवहार हुआ
शर्मा ने कहा कि कलेक्टर होते हुए भी मेरे साथ ऐसा व्यवहार हुआ। मैं आप लोगों से यह कहना चाहता हूं कि पद पर हो तो लोगों के काम करो, उनकी समस्याएं और मत बढ़ाओ, आम आदमी बनकर जब कहीं काम कराने जाओगे तो पता चलेगा कि आम लोगों को काम कराने में कितनी समस्या आती है।