सिहोरा। क्या रेल के कारण जलसंकट उत्पन्न हो सकता है। मप्र के ग्राम सलैया फाटक में पैदा हो गया है। रेलवे की असंवेदनशीलता के कारण आधा गांव बूंद बूद पानी के लिए तरस रहा है। इस गांव के लिए रेल एक अभिशाप बन गई है। ग्रामीण रेलवे के खिलाफ धरने पर बैठ गए हैं।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक कटनी जिले के थाना स्लीमनाबाद के ग्राम सलैया फाटक में रेलवे के खिलाफ आंदोलन कर धरना पर बैठ गए हैं। धरने में शामिल ग्रामीणों ने बताया की दस सालों से रेलवे लाइन के दूसरे तरफ (उसपार) बसे आधे गाँव को गर्मी आते ही भीषण जल संकट का सामना करना पड़ता है। जिसके लिए ये सभी ग्रामीणों ने पिछले दो साल से जबलपुर जा जा कर रेलवे अधिकारियो के चक्कर लगा रहे थे लेकिन इनकी मागों को कभी गंभीरता से नही लिया गया जिससे असन्तुष्ट होकर आज ये ग्रामीण रेलवे प्रशासन के विरोध में धरने में बैठ गए हैं।
गाँव के बीच में से निकली है रेल लाइन
स्लीमनाबाद थाना का फाटक सलैया गाँव रेलवे के दोनों तरफ बसा हुआ है जहां ग्राम पंचायत से नल जल योजना के तहत पानी की व्यवस्था को लेकर टंकी तो बना दी गयी लेकिन लाइन के दूसरे तरफ आधा गांव बसा होने की वजह से लाइन पार करके ही पानी पहुंचाया जा सकता है लेकिन जबलपुर रेल मण्डल इसके लिए अनुमति नही दे रहा है। जिसके बाद गाँव के लोग धरने में बैठ गए हैं।
दो किमी दूर से लाना पड़ता है पानी
रेल प्रशासन के खिलाफ धरने में बेठे लोगो ने बताया की ज्यादात्तर फाटक भी बन्द रहता है और यहां पास में एक हेण्डपंप के आलावा कुछ भी साधन नही है जिससे पानी मिल सके और यदि यह हैंडपंप भी बिगड़ जाता है तो फिर दो किमी दूर साईकिलों से पानी लाना पड़ता है। जबकि लाइन के पार करीब दौ सौ से अधिक घर बसे हुए है जो गर्मी आते ही पानी के लिए तरसने लगते हैं। यदि रेल प्रशासन ग्राम के लोगों को अनुमति देता है तो आसानी से सभी के पास पानी पहुंच सकता है।