मप्र में होगी सरकारी स्कूलों की ब्रांडिंग

Bhopal Samachar
भोपाल। सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या बढ़ाने पहली बार बैनर-पोस्टर और ब्रांडिंग की मदद ली जा रही है। एडमिशन का प्रतिशत बढ़ाने स्कूल शिक्षा विभाग ने इसकी योजना बनाई है। सरकारी स्कूलों के प्रति आकर्षण बढ़ाने के लिए अभिभावकों को इसमें मिलने वाली बेहतर सुविधाओं और योग्य शिक्षकों की जानकारी दी जाएगी। 'स्कूल चले हम" अभियान के तहत शिक्षक अभिभावकों के घर जाकर बच्चों को सरकारी स्कूलों में भेजने के लिए तैयार करेंगे।

स्कूल शिक्षा विभाग नए स्कूल नहीं खोल रहा है, बल्कि पुराने स्कूलों में सुविधाएं बढ़ाकर उन्हें निजी स्कूलों से प्रतिस्पर्धा के लायक बना रहा है। निजी स्कूलों की तर्ज पर संगीत क्लास, स्पोर्ट्स, योग-शारीरिक शिक्षा जैसे कार्यक्रम शुरू किए जा रहे हैं।

अभिभावकों को बताया जाएगा कि सरकारी स्कूलों में प्राइवेट स्कूलों से बेहतर व योग्य शिक्षक हैं, जबकि प्राइवेट स्कूलों के पास डीएलएड और बीएड योग्यताधारी शिक्षक नहीं हैं। कई स्कूलों में हायर सेकंडरी या ग्रेजुएट शिक्षक पढ़ा रहे हैं। इसके अलावा विभाग छात्रों को फ्री मेडिकल चेकअप की सुविधा भी देगा। ऐसी ब्रांडिंग प्राचार्य स्तर पर होगी। प्रचार-प्रसार का भी पूरा प्लान बनाया गया है।

उल्लेखनीय है कि स्कूल चले हम अभियान जून में शुरू होगा। इस दौरान शिक्षकों की टीमों को घर-घर भेजने के लिए प्रशिक्षित करने पर विचार चल रहा है, जिससे वे सवालों का जवाब देकर अभिभावकों को बच्चों के एडमिशन सरकारी स्कूलों में कराने के लिए राजी कर सकें। विभाग छात्रों को दी जाने वाली सुविधाओं के बैनर-पोस्टर भी छपवाएगा और खेल, राजनीति और फिल्म से जुड़ी हस्तियों को भी इस अभियान से जोड़ेगा।

ये विशेषताएं बताएगा विभाग
राज्य सरकार सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को विभिन्न् सुविधाएं दे रही है, जिसमें पहली से आठवीं तक फीस नहीं लेने, मुफ्त में किताबें-साइकिल देने, मध्या- भोजन, छात्रवृत्ति, प्रायोगिक उपकरण, मनोरंजक एवं ज्ञानवर्धन पुस्तकें उपलब्ध कराना, छात्रवृत्ति, नैतिक शिक्षा, खेल प्रतियोगिताएं आदि शामिल हैं।

इनका कहना है
अभियान तो वही है, बस संचालन का तरीका बदलेगा। इस बार हम कुछ नया लेकर अभिभावकों के बीच जाएंगे। ताकि वे सरकारी स्कूलों की खूबियां पहचान सकें और सरकारी स्कूलों में ही अपने बच्चों का दाखिला कराएं। हमारा मकसद सरकारी स्कूलों का भरोसा लौटाना है और उन्हें पहले की तरह बेहतर बनाना है।
दीपक जोशी, राज्यमंत्री, स्कूल शिक्षा विभाग

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