सागर। शहर में अक्षय तृतीया पर करीब 48 जोड़ों के विवाह मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत हुए, लेकिन इस बार भी वधुओं को बिना मंगलसूत्र के ही विदा होना पड़ा। इस बड़ी चूक के लिए निगम, सामाजिक न्याय विभाग और आयोजक एक दूसरे की कमी बता रहे हैं।
दूसरी तरफ अांधी के साथ हुई तेज बारिश ने शादी समारोह में खलल डालने में कहीं कोई कसर नहीं छोड़ी। पंडालों में पानी भर गया। दूल्हा-दुल्हन, घराती और बाराती सभी को परेशानी उठानी पड़ी। इन परेशानियों के बावजूद शादी की रश्में पूरी हुई और दुल्हन पिया संग विदा हो गईं।
विवाह की सारी रश्में पूरी होने के बाद सोमवार की शाम को निगम की तरफ से जोड़ों को कुल 5 बर्तन भेजे गए, जबकि इस योजना के तहत नकदी समेत कुल 25 हजार की सामग्री दी जाती है। मंगलसूत्र, पायल और बिछुड़ी तीनों अाभूषण दुल्हनों को नहीं मिल सके। उपायुक्त डॉ. प्रणय कमल खरे ने समारोह स्थल पहुंचकर शेष सामग्री बाद में देने का आश्वासन दिया।
धोखे में रखा अफसरों ने
आयोजक व तुलसीनगर वार्ड पार्षद भैयन पटेल का कहना था कि 28 अप्रैल को आवेदन लेकर गए तब योजना शाखा प्रभारी राजेश सिंह ने आश्वास्त किया था कि आवेदन जमा हो जाएंगे। इसके पहले भी आवेदन जमा करने गया था, लेकिन निगम कर्मी प्रहलाद रैकवार उन्हें टालते रहे। 7 मई को पत्र आया कि सामाजिक न्याय से राशि नहीं मिली।
विवाह समाराेह में खाली हाथ कैसे जाता: महापौर
महापौर अभय दरे का कहना था कि यह निगम के अधिकारियों की घोर लापरवाही का नतीजा है। यह पहला आयोजन नहीं। इसके पहले मुस्लिम समाज व हम्मालों के विवाह समारोह में भी ऐसा ही हुआ। सामाजिक न्याय विभाग के अधिकारी से बात हुई थी उन्होंने आवेदनों के अनुसार निगम को राशि जारी कर दी है। जोड़ों को उपहार ही नहीं दिए गए, इसलिए मैंने इन दोनों समारोह में खाली हाथ जाना उचित नहीं समझा।