नई दिल्ली। भारत में लगभग हर तीसरा ड्राइविंग लाइसेंस जाली हो सकता है क्योंकि एक आधिकारिक आंकड़ो के अनुसार सड़कों पर पांच करोड़ से अधिक लोगों के ड्राइविंग लाइसेंस फर्जी पाये गये। हालांकि फर्जी लाइसेंसों के साथ गाड़ी चलाते पाये गये लोगों को जल्द ही एक साल तक की कैद और 10,000 रपये तक के जुर्माने की सजा का प्रावधान हो सकता है जो इस समय अधिकतम तीन महीने की कैद और 500 रपये के जुर्माने का है।
किशोर चालकों के मामले में वाहन मालिक या चालक के अभिभावक को तीन साल तक की जेल और 20,000 रुपए तक के जुर्माने की कड़ी सजा का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा उनके वाहन का रजिस्ट्रेशन भी निरस्त किया जा सकता है।
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा, ‘‘भारत में 30 प्रतिशत लाइसेंस जाली हैं। हमें इसकी जांच करनी होगी। हम ऑनलाइन प्रणाली शुरू करने जा रहे हैं जहां ड्राइविंग लाइसेंस हासिल करने के लिए कंप्यूटराइ्ज्ड परीक्षण किया जाएगा। लाइसेंस हासिल करने के लिए सभी को परीक्षा देनी होगी, चाहे वह नेता हो, अधिकारी हो या सेलिब्रिटी हो। पूरी तरह पारदर्शिता होगी।’’ एक अधिकारी ने कहा कि मंत्रालय ने करीब 18 करोड़ लाइसेंसों के आंकड़े जुटाये हैं और इनमें से करीब 5.4 करोड़ लाइसेंस ‘जाली’ की श्रेणी में आते हैं जिनकी जांच करनी होगी।
इससे पहले सरकार के एक सर्वेक्षण में करीब छह करोड़ ड्राइविंग लाइसेंसों में से करीब 74 लाख फर्जी पाये गये थे। सड़क परिवहन और सुरक्षा विधेयक को भारतीय सड़कों को सुरक्षित बनाने के लिए महत्वपूर्ण बताते हुए गडकरी ने कहा कि देश में सड़क हादसों में हर साल करीब डेढ़ लाख लोग मारे जाते हैं और प्रस्तावित कानून पूरी व्यवस्था को बदलेगा जिसमें ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने की प्रणाली भी शामिल है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि संसद के अगले सत्र में विधेयक पारित हो जाएगा जिसमें अब राज्य साथ में है क्योंकि विषय समवर्ती सूची में आता है।’’