
गोविंदपुरी में गुरप्रीत भोला की बिल्डिंग के बाहर 200 केवीए का ट्रांसफार्मर लगाने के लिए ठेकेदार अनिल वर्मा का चयन किया गया था। ट्रांसफार्मर को लगाने की स्वीकृति का प्रस्ताव नगर संभाग पूर्व तत्कालीन उप महाप्रबंधक आरएच वर्मा के यहां प्रस्तुत किया था। इस प्रस्ताव को स्वीकृति देने के लिए उप महाप्रबंधक ने 30 हजार रुपए की रिश्वत मांग थी, जिसे अनिल वर्मा देने को तैयार नहीं थे। इसको लेकर अनिल वर्मा ने लोकायुक्त में शिकायत की। 31 जुलाई 2013 को लोकायुक्त ने आरएच वर्मा को 23 हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ लिया। लोकायुक्त ने कोर्ट में चालान पेश किया। ट्रायल के दौरान फरियादी रिश्वत देने की बात से मुकर गया। अभियोजन अधिकारी अरविंद श्रीवास्तव ने दो राजपत्रित अधिकारियों की गवाही कराई, जिनके सामने आरएच वर्मा को रिश्वत लेते हुए पकड़ा था। उनकी गवाही में रिश्वत लेने की बाद पुष्ट हो गई। उसी के आधार पर कोर्ट ने आरोपी को पांच साल की सजा सुनाई है।
फरियादी पर हो सकती है कार्रवाई
लोकायुक्त के विशेष लोक अभियोजक अरविंद श्रीवास्तव ने गवाही बदलने पर फरियाद पर कार्रवाई के लिए कोर्ट में आवेदन पेश कर दिया। इसके चलते फरियादी पर कार्रवाई हो सकती है।
फरियादी ने आरोपी को बचाने की पूरी कोशिश की थी, लेकिन अभियोजन ने अपने केस को मजबूत करने के लिए कई साक्ष्य पेश किए, जिसके आधार पर आरोपी दोषी साबित हो गया।