फ्री सेक्स महिलाओं की आजादी का प्रतीक है: कविता कृष्णन

Bhopal Samachar
नई दिल्‍ली। कम्युनिस्ट विचारधारा वाली सीपीएम (एमएल) पोलित ब्‍यूरो की सदस्‍य कविता कृष्‍णन और उनकी मां ने सोशल मीडिया में एक नई बहस को छेड़ दिया है।

'नारीवादी इस पहल का मकसद लिंग आधारित छवि को तोड़ना है। कविता कृष्‍णन ने अपने फेसबुक पेज पर यह कोट किया और इसके साथ ही 'फ्री सेक्‍स' को लेकर बहस शुरू की है। इस पोस्‍ट में उन्‍होंने जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) के शिक्षकों को भी निशाने पर लिया है।

JNU के शिक्षकों ने कथित रूप से 2015 में एक दस्‍तावेज तैयार किया था, जिसमें यूनिवर्सिटी के छात्रों को सेक्‍स और शराब से भरे जीवन के बारे में बताया गया था। पोस्‍ट में दावा किया गया है कि कविता ने एक टीवी चैनल की डिबेट में कहा कि यह अफसोस की बात है कि कुछ लोग 'फ्री सेक्‍स' (अपनी मर्जी से किसी भी व्‍यक्‍ित से शारीरिक संबंध बनाना) से डरते हैं।

उन्‍होंने आगे कहा कि अनफ्री सेक्‍स कुछ और नहीं बल्कि रेप है। एक यूजर जीएम दास ने ग्रुप के पोस्‍ट पर कमेंट किया- अपनी मां/बेटी से पूछो कि क्‍या उन्‍होंने फ्री सेक्‍स किया है।

इस पर जवाब देते हुए कविता ने कहा कि हां मेरी मां ने ऐसा किया है। उम्‍मीद है कि आपकी मां ने भी ऐसा किया होगा क्‍योंकि यदि कोई महिला आजाद नहीं है, तो यह सेक्‍स नहीं रेप है, समझे।

कविता की मां लक्ष्‍मी कृष्‍णन ने इस बहस की आग में घी डालने का काम किया। उन्‍होंने दावा किया कि उन्‍होंने फ्री सेक्‍स किया है। उन्‍होंने लिखा- हाई जीएम दास! मैं कविता की मां हूं। निश्चित रूप से मैंने फ्री सेक्‍स किया है। जब और जैसे मैं चाहती थी, जिस आदमी के साथ चाहती थी, फ्री सेक्‍स किया। सहमति से सेक्‍स चाहने वाले हर महिला और पुरुष के साथ मैं लड़ी।

मां और बेटी की इस मुहिम का कई लोगों ने समर्थन किया है और उनकी पोस्‍ट को 600 लाइक्‍स और 30 शेयर मिले हैं। एक फेसबुक यूजर अमरनाथ गुप्‍ता ने लिखा- यह एक उदाहरणात्‍मक प्रतिक्रिया है। आप पर गर्व है मैडम। वहीं, एक अन्‍य यूजर ने लिखा- ऐसी बेबाकी से प्रतिक्रिया देने के लिए आपका शुक्रिया।
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