शिक्षा के गिरते स्तर का आरोप डीपीसी पर

करेली। शासन द्वारा प्रायमरी और माध्यमिक शिक्षा के बेहतर क्रियान्वयन हेतु सर्वशिक्षा अभियान के संचालन के लिये जिला शिक्षा केंद्र स्थापित कर बीआरसी, बीएसी, जनशिक्षक की प्रतिनियुक्ति 3 साल के लिये की गयी। प्रदेश के 40 से अधिक जिलो मे नव प्रतिनियुक्ति हो चुकी है मगर जिले मे 4 साल से अधिक समय बीत गया फ़िर इन्हे नियम विरुद्ध वेतन भुगतान कर वित्तीय अनियमितता हो रही हैं, मगर पुन:प्रतिनियुक्ति के कार्यवाही नही की जा रही है जिसका नतीजा जिले और ब्लॉक मे 70% जनशिक्षक और आधे बीएसी के पद खाली होने से शासकीय योजनाओ का लाभ समय पर हितग्राही तक नही पहुच रहा है। 

चाँवरपाठा मे बीआरसी का खाली ही बना हुआ है जहाँ प्रभारी के भरोसे जैसे तैसे काम चल रहा है। सिर्फ एक बीएसी कार्यरत और 3 पद खाली हैं। निरीक्षण और अकादमिक सुधार के कार्य बुरी तरह प्रभावित है, वीईआर सर्वे मे नित नयी गड़बड़झाला निकल रहा है, सही आकडे भी शासन तक नही पहुच पा रहे हैं। 

डीपीसी एसके कोष्टी राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा नवीन प्रक्रीया 10 दिसंबर के दिशा निर्देश के अनुरूप नई प्रतिनियुक्ति न कर भ्रष्टाचार और स्वेच्छाचरिता की मिसाल बन रहे है, जिला पंचायत अध्यक्ष सन्दीप पटेल खुद भी जनशिक्षकों को हटाने के लिये कह चुके है, कलेक्टर लिखित मे प्रतिनियुक्ति 31 जनवरी तक करने के निर्देश जारी कर चुके है, मगर सांठगांठ मे माहिर डीपीसी किसी निर्देश को नही मान रहे हैं। 

खाली पडे पदों को भरकर बेहतर कार्य संचालन की माँग एमपी शिक्षक संघ द्वारा लगातार ज्ञापन देकर की जाती रही है लेकिन नतीजा शून्य ही है। जिला प्रशासन से डीपीसी पर लगाम लगाकर सभी खाली पदो को भरकर साढे चार साल से जमे नियम विरुद्ध अमले को हटाने की माँग अध्यापक संघ द्वारा की जा रही है। 
satya prakash tyagi
vidyaguru.sptyagi@gmail.com

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