भोपाल। कहते हैं भाजपा कार्यकर्ताओं की पार्टी है। इसमें कार्यकर्ता ही प्रमुख होता है। मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी एक आम कार्यकर्ता थे। उन्होंने मप्र में भाजपा को काफी मजबूत किया है। वो भाजपा को काफी महत्व देते हैं। सत्ता में रहते हुए भी संगठन की चिंता करते हैं। कार्यकर्ताओं को महत्व देते हैं।
परंतु मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का एक दूसरा चैहरा भी है। जो बहुत कम लोगों को दिखाई देता है। मंच से लोकलुभावन भाषण और आए दिन भाजपा के प्रदेश कार्यालय में पहुंच जाने वाले शिवराज सिंह चौहान भाजपा के कार्यकर्ताओं एवं दिग्गज नेताओं पर ज्यादा भरोसा नहीं करते। उनकी भरोसेमंद कोर टीम में अफसरों की संख्या ज्यादा है। इन अफसरों को शिवराज सिंह तमाम नियम दरकिनार कर अपने साथ और अपने आसपास बनाए रखते हैं। आप खुद पढ़िए, इन सीएम का इन अफसरों से प्रेम:
राकेश चंद्र साहनी
1972 बैच के आईएएस अफसर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पावर फ्रेंड कहलाते हैं। जनवरी 2010 में मुख्य सचिव पद से सेवानिवृत्ति के बाद साहनी ऊर्जा सलाहकार बनाए गए और दर्जा प्राप्त कैबिनेट मंत्री से नवाजा गया। इसके बाद मध्यप्रदेश विद्युत नियामक आयोग में साहनी को चेयरमैन बनाया गया। जहां जनवरी 2015 को 65 साल की आयु पूरी हो जाने के कारण कार्यकाल खत्म हुआ। इसके बाद तमाम विरोधों के बावजूद पिछले महीने राज्य सरकार ने फिर साहनी को नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण का अध्यक्ष बना दिया।
स्वराज पुरी
1972 बैच के ही आईपीएस अफसर स्वराज पुरी को भी रिटायरमेंट के बाद दूसरी बार पुनर्वासित किया गया। पुरी को 2005 में तत्कालीन मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर ने प्रदेश का पुलिस महानिदेशक बनाया था। इसी दौरान बीजेपी के राष्ट्रीय संगठन मंत्री संजय जोशी को सीडी कांड में क्लीनचिट दी गई थी। पुरी का मजबूत पक्ष ये है कि 1981 में जब पूर्व मुख्य सचिव राकेश साहनी शहडोल के कलेक्टर थे, तब वे वहां एसपी थे। तभी से दोनों अफसरों की जुगलबंदी चली आ रही है। ये बाबूलाल गौर की गुडबुक में भी थे, अब शिवराज सिंह की फ्रेंडलिस्ट में भी हैं।
देवराज बिरदी
1982 बैच के आईएएस अफसर डॉ. देवराज बिरदी को भी रिटायर होते ही राज्य सरकार ने राकेश साहनी का उत्तराधिकारी बना दिया। बिरदी को कैबिनेट मंत्री का दर्जा सहित मध्यप्रदेश राज्य विद्युत नियामक आयोग का चेयरमैन बनाया गया। फरवरी 2015 को यह नियुक्ति पांच वर्ष के लिए की गई है।
पदमवीर सिंह
मोहाली पंजाब के रहने वाले पदमवीर सिंह 1977 बैच के मध्यप्रदेश कैडर के आईएएस हैं। सेवा अवधि पूरी होने के बाद राज्य सरकार ने इन्हें मध्यप्रदेश वित्त आयोग का सदस्य बनाया है।
डीआरएस चौधरी
अगस्त 2013 को स्टील मंत्रालय से सचिव के पद से रिटायर हुए डीआरएस चौधरी मध्यप्रदेश 1977 बैच के आईएएस हैं। चौधरी को राज्य सरकार ने राज्य वित्त आयोग का सदस्य बनाया है।
मलय राय
व्यापमं के चेयरमैन पद पर रहते हुए मलय राय मुख्यसचिव वेतनमान से रिटायर हुए थे। राय के राज्य वित्त आयोग में पुनर्वास का मामला बेहद दिलचस्प है। 1977 बैच के इस अफसर का पुनर्वास तब किया गया जब मुख्यमंत्री विदेश दौरे पर थे। सीएम ने विदेश से इनके लिए आदेश जारी किए।
आर परशुराम
1978 बैच के अतिरिक्त आईएएस आर परशुराम मार्च 2013 को रिटायर हुए, तब सरकार ने पहले उन्हें छह महीने की सेवावृद्धि दी, बाद में राज्य निर्वाचन आयोग का चेयरमैन बनाया।
और ये भी हैं
विधि विभाग के प्रमुख सचिव रहे केडी खान फिलहाल राज्य सूचना आयोग में मुख्य सूचना आयुक्त हैं। वहीं रिटायर्ड आईएएस एचएल त्रिवेदी सूचना आयुक्त हैं। मानवाधिकार आयोग में वीएम कंवर आईपीएस रहे हैं, फिलहाल कार्यवाहक अध्यक्ष हैं। अरूण भट्ट सेवानिवृत्ति के बाद से सीएम के ओएसडी हैं।