भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लगभग हर मंच से मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना का जिक्र करते हुए छाती ठोककर कहते हैं कि युवा स्वरोजगार स्थापित करें, बैंक से लोन लें, गारंटी सरकार देगी। लेकिन असल में होता कुछ और ही है। बैंक निर्धन युवाओं को लोन देते ही नहीं। फाइलें पेंडिंग में डाल दी जातीं हैं, जबकि इसी योजना के तहत नेताओं के रिश्तेदारों को फटाफट लोन बांटा जा रहा है। नेता भाजपा का हो या कांग्रेस का। योजना का लाभ सभी को मिल रहा है। बस जनता परेशान है। ये रहे तीन उदाहरण: ऐसे सैंकड़ों मामले मप्र के हर जिले में मिल जाएंगे।
1.भाजपा नेता के बेटे को 1 सप्ताह में लोन
विदिशा के भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व पार्षद शिवराज यादव के बेटे अनिल यादव ने स्टेशनरी की दुकान खोलने के लिए मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना के तहत बैंक ऑफ महाराष्ट्र में 9 लाख रुपए के लोन के लिए आवेदन किया। एक सप्ताह में ही उन्हें लोन की पहली किश्त मिल गई... जबकि बमूरिया निवासी पूजा बाई अहिरवार ने मार्च 2014 में दूध डेयरी के लिए तीन लाख रूपए के लोन के लिए जिला उद्योग केंद्र में आवेदन किया। वहां से उसकी फाइल बैंक को भेजी ही नहीं गई। वह अभी भी जिला उद्योग केंद्र और बैंक के चक्कर काटने को मजबूर है।
2. कांग्रेस नेता के बेटे को तत्काल लोन
छिंदवाड़ा के कांग्रेस नेता दिमागचंद डोले के बेटे दिनेश डोले ने मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना के तहत हेल्थ क्लब के लिए 9 लाख का लोन मांगा। इसके लिए उन्होंने अक्टूबर 2015 में आवेदन किया। दो सप्ताह के भीतर उनका लोन मंजूर हो गया... जबकि लालबाग निवासी राजू मरकाम ने भी इसी योजना के तहत डेयरी फार्म के लिए बैंक ऑफ महाराष्ट्र से तीन लाख के लोन के लिए दिसंबर 14 में आवेदन किया। लेकिन बैंक ने उनसे गारंटी मांग ली। गारंटी पेश न कर पाने पर उन्हें लोन नहीं मिल सका।
3. जनपद अध्यक्ष के भतीजे को 2 सप्ताह में लोन
राजगढ़ जिले के खिलचीपुर जनपद पंचायत अध्यक्ष जगदीश दांगी के भतीजे राजेश दांगी ने बैंक ऑफ इंडिया मई 15 में 8 लाख रूपए के लोन के लिए बैंक ऑफ इंडिया में आवेदन किया। दो सप्ताह में उनका लोन पास हो गया। उन्होंने जीप (एमपी 39 टी 1026) भी खरीद ली। यह जीप वर्तमान में खिलचीपुर जनपद में ही किराए पर लगी है... जबकि पीपल वे ब्यावरा निवासी विजेंद्र शर्मा ने एक साल पहले उद्योग विभाग में पांच लाख के लोन के लिए आवेदन जमा कराया। अब उद्योग विभाग के अधिकारी कह रहे हैं कि तुम किसी भी बैंक में बात कर लो, जो भी बैंक तुम्हें लोन देने को तैयार हो जाए, हम उसे प्रकरण भेज देंगे। एक साल से वे पीपल वे से राजगढ़ जाकर हजारों रूपए किराए पर खर्च कर चुके हैं, लेकिन लोन नहीं मिला।