मप्र के चावल व्यापारियों का काम महाराष्ट्र से करवा रही है सरकार

Bhopal Samachar
बालाघाट। जिन व्यापारियों ने मप्र में राइस मिल की स्थापना की, सब्सिडी का लाभ लिया, सरकारी योजनाओं का फायदा उठाया और बैंक से लोन भी लिया। सरकार उन मिलों से सस्ती दरों पर काम करवाने के बजाए महाराष्ट्र की राइस मिलों को महंगे दामों पर काम दे रही हैं। 

मध्यप्रदेश शासन द्वारा समर्थन मूल्य पर विपणन संघ के माध्यम से धान खरीदी कर अनुबंधित राईस मिलर्स से चावल की मिलिंग करवाया जा रहा है जिसे नागरिक आपूर्ति निगम द्वारा खरीदा गया चावल सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से कार्डधारियों, मध्यान्ह भोजन, आंगनबाडी केन्द्रों में पोषण आहार के रूप मे वितरित किया जा रहा है। एैसी जानकारी मिली है कि कस्टम मिलिंग करवाने के लिये बालाघाट जिले के राईस मिलर्स के अलावा प्रदेश के अन्य जिलों एवं महाराष्ट्र के राईस मिलर्स से अनुबंध किया जा रहा है। 

जिले मे स्थित राईस मिलर्स से कस्टम मिलिंग ना करवाते हुये महाराष्ट्र और अन्य जिलों के राईस मिलर्स से मिलिंग अनुबंधित के नाम पर भारी भ्रष्टाचार किया जा रहा है, धान और मिलिंग चावल को परिवहन के नाम पर लंबी दूरी के ट्रक भाडे से सरकारी खजाने को भारी आर्थिक क्षति पहुंच रही है।

जबकि बालाघाट जिले मे 140 राईस मिलें है और कस्टम मिलिंग करने की उनमे पर्याप्त क्षमता भी है लेकिन क्षमता ना होने का बहाना बताकर जिले के बाहर की राईस मिलर्स से अनुबंध किया जा रहा है जिसको लेकर यहां के राईस मिलर्स मे असंतोष व्याप्त है।

उल्लेखनीय है महाराष्ट और छत्तीसगढ शासन राईस मिलर्स को केवल 40 कि.मी. दूरी तक का ही परिवहन व्यय देती है लेकिन मध्यप्रदेश में 150 से 200 कि.मी. तक का भाडा वहन किया जा रहा है जिसकी आड मे भारी भ्रष्टाचार चल रहा है जानकारी के अनुसार आरो बिक्री कर परिवहन के नाम पर फर्जी व्हाउचर बनाकर मध्यप्रदेश से भाडा वसूला जा रहा है। शासन हित मे महाराष्ट्र और छत्तीसगढ शासन की नीति के अनुसार कस्टम मिलिंग का जो भाडा निर्धारित किया गया है उसे यहां भी लागू किया जाना चाहिये।

बालाघाट जिले के राईस मिलर्स के द्वारा शासकीय योजनाओं का लाभ उठाते हुये बैंको से ऋण प्राप्त कर लाखों और करोडों की लागत से राईस मिलें लगाई गई हैं लेकिन यहां का उत्पादित धान का मिलिंग कार्य ना मिलने से उनके समक्ष बैंको का कर्ज अदा करने की समस्या खडी हो गई है ऐसी जिले की 3 राईस मिलों को बैंकों द्वारा तत्काल कर्जा अदायगी का नोटिस दिया गया है इन विसंगतियों के चलते जिले से राईस मिलों का व्यवसाय बंद होने की कगार पर पहंुच गया है इसलिये जिले की उत्पादित धान का मिलिंग जिले के राईस मिलर्स से कराये जाने की मांग यहां के मिल मालिकों ने की है।
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