भोपाल। मप्र सरकार राज्य के चार शहरों भोपाल, इंदौर, जबलपुर एवं ग्वालियर में मेट्रो ट्रेन की योजना बना रही है। इसे लेकर माथापच्ची जारी है और वहां बिहार सरकार ने स्काई ट्रेन की योजना पर अमल करना शुरू कर दिया। वो भी बिना विदेशी लोन के। बिहार की स्काई ट्रेन देशभर में चल रहीं तमाम आधुनिक ट्रेनों से ज्यादा बेहतर है। यह दिल्ली में आ चुकी मेट्रो से ज्यादा अच्छी है और मप्र में आने वाली मेट्रो से भी अच्छी है।
स्काई ट्रेन बिहार की सूरत बदल देने वाला रेल यातायात माना जा रहा है। आसपास के कई जिले सीधे राजधानी से जुड़ जाएंगे। मुख्यमंत्री नीतिश भारद्वाज की ब्रांडिंग में यह मील का पत्थर साबित होगी और बिहार पर लगे कुछ कलंक भी धुल जाएंगे।
स्काई ट्रेन जिला मुख्यालयों को पटना से 240 से 260 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से जोड़ेगी। इसकी लागत भी मेट्रो या मेमू ट्रेन से कम होगी।
क्या है स्काई ट्रेन
पोल के सहारे चलने वाली स्काई ट्रेन छोटी-छोटी बोगियों का समूह होगी। एक बोगी में चार लोग बैठ सकेंगे। इसके निर्माण के लिए ज्यादा भूमि अधिग्रहण की जरूरत नहीं होगी। प्रदूषण का भी झमेला नहीं है। स्पीड है 240 किलोमीटर प्रतिघंटा।
स्पीड में मेट्रो से सबसे आगे
दिल्ली मेट्रो : 75 किमी प्रति घंटा
कोलकाता मेट्रो : 55 किमी प्रति घंटा
प्रस्तावित मप्र मेट्रो: 50 किमी प्रति घंटा
स्काई ट्रेन : 240 से 260 किमी प्रति घंटा
लागत भी मेट्रो से कम
मेट्रो: 250 से 500 करोड़ रुपये प्रति किमी
स्काई ट्रेन : 90 से 120 करोड़ रुपये प्रति किमी
मप्र में मेट्रो के हाल
मप्र की मेट्रो केवल 4 शहरों के भीतर वाला यातायात प्रभावित करेगी।
जापान की कंपनी ने सस्ता लोन दिया है परंतु यह प्रोजेक्ट बहुत महंगा साबित होता जा रहा है।
मेट्रो को आधुनिक बताया जा रहा है परंतु तकनीक 10 साल पुरानी है।
मुख्यमंत्री इसे अपनी लोकप्रियता के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं।
अधिकारियों के लिए अतिरिक्त कमाई का अवसर प्रतीत हो रहा है।
स्काई ट्रेन की तुलना में कहीं ज्यादा महंगी और बहुत कम स्पीड।