विकासनगर/देहरादून। दलितों के लिए प्रतिबंधित शिलगुर देवता मंदिर में दलितों संग दर्शन करने पहुंचे राज्यसभा सांसद तरुण विजय व दलितों के दल पर स्थानीय लोगों व मंदिर समिति के लोगों ने हमला कर दिया। दलितों के मंदिर में प्रवेश से गुस्साए लोगों ने पथराव व मारपीट की, जिसमें सांसद समेत कई लोग घायल हो गए।
पोखरी-चकराता स्थित शिलगुर देवता मंदिर में दलितों की एंट्री पर रोक थी, ऐसे में आज राज्यसभा सांसद दलितों के एक दल के साथ मंदिर में दर्शन करने पहुंच गए। इस पर धार्मिक भावनाओं को आहत करने तथा परंपरा तोड़ने का आरोप लगाते हुए कुछ लोगों ने जमकर हंगामा काटा। सांसद तरुण विजय तथा दलित समाज के लोगों के साथ इस कदर मारपीट की गई कि कई गंभीर घायल हो गए।
दलित नेता सहित पूरा परिवार लापता
गंभीर घायल तरुण विजय को चकराता स्थित सैनिक अस्पताल में भर्ती कराया गया, जबकि उनकी गाड़ी को गुस्साई भीड़ ने खाई में फेंक दिया। इसके अलावा आराधना ग्रामीण विकास केंद्र समिति के नेता दौलत कुंवर का घटना के बाद से कोई पता नहीं चल पा रहा है। दलित नेता दौलत कुंवर व उनका परिवार लापता है, हालांकि इस संबंध में कुछ भी कहना अभी संभव नहीं है।
इलाके में तनाव
घटना से क्षेत्र में भारी तनाव है और पुलिस प्रशासन के स्थिति सामान्य करने में पसीने छूट रहे हैं। इससे पहले भी कई बार मंदिर में दलितों के प्रवेश को लेकर विवाद होता रहा है, लेकिन इस बार राज्यसभा सांसद की मौजूदगी ने मामले को गंभीर बना दिया है।
दलितों की यात्रा लेकर निकले थे सांसद
इससे पहले जौनसार बावर परिवर्तन यात्रा के रूप में आज दोपहर राज्यसभा सांसद तरुण विजय के नेतृत्व में स्थानीय ब्लाक परिसर से चकराता के पोखरी शिलगुर देवता के दर्शन को रवाना हुई थी। यात्रा को रवाना करते हुए सांसद ने कहा था कि दलितों को मंदिर में प्रवेश करने से रोकना घोर अन्याय है।
विकासनगर के खंड विकास अधिकारी कार्यालय परिसर से सांसद ने आराधना ग्रामीण विकास केंद्र समिति के बैनर तले मंदिर में प्रवेश को जाने वाले दलितों के दल को रवाना किया गया था। दलित राज्यसभा सांसद तरुण विजय के नेतृत्व में पोखरी-चकराता स्थित शिलगुर देवता मंदिर में दर्शन करने पहुंचे थे।
पुलिस की लापरवाही से बेकाबू हालात
जौनसार बावर परिवर्तन यात्रा के तहत राज्यसभा तरुण विजय के नेतृत्व में दलितों का मंदिर में जाने का कार्यक्रम पूर्वनियोजित था। पहले भी कई बार मंदिर में दलितों के प्रवेश पर हुए विवाद को देखते हुए इस बार भी बवाल की पूरी संभावना थी। राज्यसभा सांसद के कार्यक्रम में शामिल होने के बाद तो सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता होना लाजमी था, लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण है कि पुलिस ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया। आधी अधूरी तैयारियों के साथ पहुंची पुलिस बवाल व मारपीट के दौरान मूकदर्शक बन कर रहे गई।