नईदिल्ली। देशभर के दूरदराज और पिछड़े इलाकों के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे भी अब विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग व गणित में किताबी ज्ञान के साथ प्रयोगशाला में प्रयोग कर सकेंगे। क्योंकि केंद्र सरकार स्कूली छात्रों को किताबी ज्ञान के साथ प्रैक्टिकल से जोड़ने के लिए पांच सौ स्कूलों में अटल टिकरिंग लैबोरेटरीज खोलने जा रही है, जोकि छठीं से आठवीं कक्षा तक के स्कूलों में खुलेंगी। इसके अलावा सरकार सौ इन्क्यूबेशन सेंटर भी खोलने जा रही है।
देश के हर बच्चों को तकनीक से जोड़ने के मकसद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार दो साल की उपलब्धि के तहत देशभर के स्कूलों में लैबोरेटरीज बनाने जा रही है। पहले चरण में पांच सौ स्कूलों को चुना जाएगा। इस योजना का मुख्य मकसद छात्रों को किताबी ज्ञान के साथ-साथ प्रैक्टिकल जानकारी देना है। देश में करीब 60 फीसदी से अधिक स्कूली छात्र किताबी ज्ञान से ही विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित की जानकारी ले पाते हैं। क्योंकि ऐसे स्कूलों में लैब नहीं होती है।
छात्रों और स्कूल प्रबंधन की दिक्कत को समझते हुए छठीं से आठवीं कक्षा तक के स्कूलों में यह अटल टिंकरिंग प्रयोगशाला बनायी जाएंगी। योजना के तहत स्कूलों को प्रयोगशाला बनाने के लिए दस लाख रुपये एक साथ पहले वर्ष में मिलेंगे, ताकि स्कूल लैब से संबंधित उपकरण, औजार आदि खरीद सकें। हालांकि स्कूलों को लैब में प्रयोग होने वाले उपकरण मेक इन इंडिया के तहत स्वदेशी कंपनियों के ही खरीदने होंगे। इसके बाद प्रयोगशाला के रख-रखाव व अन्य खर्चों के लिए पांच वर्षों के दौरान दस लाख रुपये दिए जाएंगे। प्रत्येक स्कूल को प्रयोगशाला निर्माण के लिए बीस लाख रुपये मिलेंगे।