ताशकंद। शिक्षकों की हालत केवल भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर में खराब चल रही है। सरकारें उन्हें बोझ समझ रहीं हैं। अब उज्बेकिस्तान का ही मामला ले लीजिए। यहां शिक्षकों को वेतन के बदले आलू, गाजर, कद्दू या चूजे दिए जा रहे हैं।
मामला कैरेकलपाकस्तान रिपब्लिक का है। अधिकारियों का कहना है कि देश के बैंकों में पैसे की कमी की वजह से उन्हें ऐसा करना पड़ रहा है।
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, शिक्षक इसे शर्मनाक बता रहे हैं। उनके मुताबिक, बीते साल हमें वेतन के बदले आलू, गाजर और कद्दू मिले थे। इस साल ये हम पर वेतन के बदले चूजों को लेने के लिए दबाव बना रहे हैं। अगर हमें चिकन की जरूरत होती है तो हम इसे बाजार से काफी कम कीमत पर खरीद सकते हैं।
सैलरी के लिए एक चूजे को सात हजार सोम (उज्बेकिस्तान की मुद्रा) यानी करीब 167 रुपए के बराबर माना गया, जो बाजार में इसकी कीमत से दोगुना है।
उज्बेकिस्तान की सरकार मीडिया पर सख्त नियंत्रण रखती है और जो नागरिक विदेशी मीडिया से बात करते हैं, वो पहचान छिपाकर ही बात करते हैं।
क्यों आए ऐसे हालात?
उज्बेकिस्तान वर्षों से नकदी की कमी की समस्या से जूझ रहा है। इसके चलते कर्मचारियों के वेतन के साथ ही पेंशन भुगतान में दिक्कतें आ रही हैं। अब वेतनभोगियों मे सरकार के प्रति गुस्सा बढ़ता जा रहा है। उनका कहना है, यह शर्मनाक है और भ्रष्ट नौकरशाही का संकेत है।
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