दिल्ली में फांसी लगाने वाले मप्र के सट्टाकिंग की कहानी

श्योपुर। संसद भवन के सामने पेड़ से फांसी लगाने वाले शख्स की जिंदगी फिल्मी कहानी की तरह नजर आती है। 7 साल पहले वह घर-घर जाकर मटके बेचा करता था औ कच्चे मकान में रहता था। लेकिन देखते ही देखते वह एक आलीशान मकान और लक्जरी गाड़ियों का मालिक हो गया। 

दादा के साथ मटके बेचते थे पापा
कक्षा नौ की छात्रा रामदयाल की दूसरी बेटी मधु ने बताया कि 7 साल पहले उसके पापा, दादा रामसुख के साथ मिटटी के मटके बनाते थे। वह दादा और पापा के साथ इन मटकों को बेचने के लिए बाजार जाती थी। बाद में पापा सट्टे का काम करने लगे, लेकिन इसके बारे में वह घर पर उनसे कभी चर्चा नहीं करते थे।

पापा सीढ़ियां नहीं चढ़ पाते थे, पेड़ पर कैसे चढ़ गए
कक्षा 7वीं के छात्र रामदयाल के छोटे बेटे सोनू उर्फ सूरज का कहना है कि पूरा परिवार और मैं रातभर से यही सोच रहा हूं कि पापा पैर में रॉड पड़ी होने की वजह से घर की सीढ़ियां तक भी ठीक से नहीं चढ़ पाते थे। यह समझ नहीं आ रहा है कि पापा पेड़ पर कैसे चढ़ गए?

कच्चे घर ने ली आलीशान मकान की सूरत
सात साल पहले कुम्हार मोहल्ले में रामदयाल और उसका परिवार कच्चे घर में रहता था लेकिन अब यहां दो मंजिल आलीशान मकान है। कोटा स्टोन का फर्श और मकान के साज श्रृंगार को देखकर पता लगता है कि इसे बनाने पर मोटी रकम खर्च की गई।

दो कार और दो बाइक
रामदयाल ने सिर्फ 7 साल के भीतर दो महंगी कारें खरीदी। इनमें एक एसयूवी गाड़ी शामिल है।इसके अलावा एक बाइक और एक स्कूटी भी घर में है।

आए दिन दिल्ली की यात्रा
रामदयाल आए दिन दिल्ली और इंदौर की यात्राएं करता था। दिल्ली में सट्टा कारोबारियों से संपर्क के कारण उसका दिल्ली आना जाना था। इन यात्राओं पर वह काफी पैसा खर्च करता था।

परिवार को कराईं तीर्थ यात्रा
रामदयाल हर साल परिवार को तीर्थ यात्रा व बाहर घुमाता था। वह मां और परिवार के सदस्यों को लेकर कुछ माह पूर्व ओमकारेश्वर आदि लेकर गया था।

सट्टा किंग ने दिया था 5 लाख रुपए सेलरी का आॅफर
पुलिस सूत्रों के अनुसार रामदयाल को क्रिकेट मैच में सट्टा लगाने वाले एक रईस ने हर माह 5 लाख रुपए सेलरी पर उसके यहां नौकरी करने का ऑफर दिया था। इसलिए कि रामदयाल मैच पर सट्टा लगाने में पारंगत था। उसके तार दिल्ली के सट्टा कारोबारियों से भी जुड़े हुए थे।

ग्वालियर के पुलिस अफसर का फोटो एलबम में
रामदयाल की पुलिस अधिकारियों से भी गहरी पैठ थी। एक पुलिस अधिकारी का फोटो भी रामदयाल के घर की एलबम में है। हालांकि वह सिंगल फोटो है और अधिकारी ग्वालियर का रहने वाला है।

बिना सहारे के नहीं चढ़ सकता था
दिल्ली में विजय चौक के पास पेड़ पर फांसी के फंदे पर लटके श्योपुर के कुम्हार मोहल्ला निवासी रामदयाल पुत्र रामसुख प्रजापति (42) की मौत पहेली बन गई है। इसलिए कि पैर में रॉड पड़ी होने के कारण वह घर की सीढ़ियां तक बिना सहारे के नहीं चढ़ सकता था, ऐसे में पेड़ पर चढ़कर उसने फांसी लगा ली? यह कहानी उसके बेटे, बेटियों, परिजन ही नहीं उसे जानने वाले लोगों के गले भी नहीं उतर रही है।

हालांकि दिल्ली की पार्लियामेंट स्ट्रीट थाने की पुलिस का कहना है कि रामदयाल के पेंट की जेब से मिले सुसाइड नोट में उसने आत्महत्या करने की बात कहकर श्योपुर के लिए कुछ लोगों के नाम भी लिखे हैं।

इन सवालों के जवाब किसी के पास नहीं
1. रामदयाल ने फांसी लगाकर जान दी तो उसके लिए वह दिल्ली क्यों गया। पार्लियामेंट के पास पॉश इलाके को ही क्यों चुना?
2. रामदयाल का बार-बार दिल्ली आना-जाना था, तो फिर वहां किन बड़े सट्टा कारोबारियों से जुड़ा था?
3. श्योपुर में कुछ लोगों से लाखों रुपए उधार लिए तो, वह लोग कौन हैं और किस कारोबार से जुड़े हैं।

ऐसा था रामदयाल का कारोबार
केवल देश में होने वाले वनडे या टेस्ट मैच में ही नहीं, बल्कि विदेशों में होने वाले मैच और काउंटी क्रिकेट में भी वो सट्टा लगाता था। 2011 में उसने सट्टे में दांव लगाकर 2 करोड़ रुपए कमाए और तब से उसकी लाइफ स्टाइल बदल गई थी। राजस्थान बार्डर से सटा हुआ श्योपुर जिला सवाईमाधोपुर से लगता है। इसी शहर के कुम्हार मोहल्ले में रहने वाला रामदयाल क्रिकेट के सट्टे में बड़े-बड़े दांव लगाता था। इंदौर, मुंबई, कोटा, दिल्ली जैसे शहरों से वह सीधे जुड़ा हुआ था और श्योपुर जैसे छोटे कस्बे में बैठकर करोड़ों के दांव लगाता था।
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