
जबकि इसके ठीक उलट ऐसे बहुत से महिला और पुरुष शिक्षक और शिक्षिकाएं जिन्होंने "स्पोर्ट्स "कोटे में नौकरी पाई हैं वे कोई न कोई कोई "रहस्मय "बीमारी का बहाना बना कर स्वंय को खेल गतिविधियों से दूर कर लेते /लेतीं हैं और जब ये "गणित 'और विज्ञान के यूडीटी और लेक्चरर खेल टीमों के मैनेजर और कोच बन कर सारे भारत का भ्रमण करने के लिए निकल जाते हैं। इनके पीछे कक्षाएं खाली रहती हैं और विद्यार्थियों का भारी नुकसान होता है।
स्मरणीय हैं कि प्रदेश के स्कूलों में माध्यमिक और उच्च्तर विभाग में "गणित "और "विज्ञान "के शिक्षकों की भारी कमी है ये गणित "और "विज्ञान "के शिक्षक बार बार खेलों के नाम पर स्कूल और कक्षाओं से गायब रहते हैं। आजकल तो किसी भी "ओपन टूर्नामेंट "में ये गणित "और "विज्ञान "के शिक्षक कई खेल संगठनों से साँठ-गाँठ कर स्वंय व् स्कूल के बच्चों को लेकर दिल्ली चेन्नई हैदराबाद मुंबई चले जाते हैं।
बार बार इस तरह खेल के नाम पर जाने से इन विद्यार्थियों का अधययन अध्यापन चौपट हो जाता है कई बार तो ये शिक्षक विद्यार्थियों को बिना किसी की अनुमति के "ओपन टूर्नामेन्ट "में लेकर चले जाते हैं एक सर्वे में ये बात उजागर हुई है कि कक्षा 6,7,8,9 के ये विद्यार्थी खेल के नाम पर इतनी कक्षाओं से गायब रहते हैं कि कक्षा 10 बोर्ड परीक्षाओं में ये फेल हो जाते हैं और फिर पढ़ाई छोड़ देतें हैं।
इन शिक्षकों /खेल संगठनों की स्वेच्छाचारिता का आलम ये है कि "ओपन टूर्नामेंट "के दौरान बालिकाओं के साथ ये किसी महिला शिक्षिकाओं को साथ रखना उचित नहीं मानते जो कि बिलकुल नियम विरुद्ध है। पिछले दिनों राजधानी के एक स्कूल में एक शिक्षक बिना किसी की अनुमति के एक "ओपन टूर्नामेंट "में कक्षा 6,7,8,9 की छात्राओं और छात्रों को मुंबई ले गया और जब मामला उजागर हुआ तो मामले की लीपापोती कर दी गई।
ऐसा अनुरोध है कि गणित और विज्ञान के यूडीटी और लेक्चरर को स्पोर्ट्स टीम का मैनेजर और कोच नहीं बनाया जाना चाहिए और माह जनवरी के बाद जब परीक्षाओं की तैयारियों के मद्देनज़र किसी भी प्रकार खेल के ओपन टूर्नामेंट "में विद्यार्थियों को शहर से बाहर जाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए और शासन स्तर पर इस संबंध में उचित आदेश जारी किए जाने चाहिए। ताकि बछकन की पढ़ाई में अवरोध न आए। गणित और विज्ञान के यूडीटी और लेक्चरर को खेल मैनेजर बनने पर रोक लगाईं जानी चाहिए और ऐसे शिक्षक और शिक्षिकाओं को जिन्होंने खेल के नाम पर नौकरी पाई है उन्हें इस काम में लगाया जाना चाहिए। पढ़ाई के साथ खेल गतिविधियाँ संपादित की जानी चाहिए न कि खेल के साथ पढ़ाई हो। विद्यार्थियों के भविष्य को बर्बाद करने पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई जानी चाहिए।