
सीएमएस डा नेगी किस कदर कर्मचारियों के बीच में अलोकप्रिय थे उसका नजारा पिछले दिनों देखने को मिला। उनके स्थानान्तरण पर फेयरवेल पार्टी देने के लिये कोई भी कर्मचारी तैयार नहीं था। यहां तक कि एक डाक्टर को चार कर्मचारियों को सीआर खराब कर देने का डर दिखाकर जबरन दो हजार रूपये प्रति कर्मचारी से वसूलना पड़ा लेकिन इन कर्मचारियों ने पार्टी में शामिल नहीं होकर जता दिया कि वसूली जबरन की जा सकती है लेकिन किसी का सम्मान जबरन नहीं कराया जा सकता। दरसअल कर्मचारियों के प्रति उपेक्षापूर्ण बर्ताव के अलावा रोजमर्रा के कार्यों में दखलांदाजी से कर्मचारी डा नेगी से काफी रूष्ट थे। इसके अलावा अपने कार्यकाल में डा नेगी ने अस्पताल की व्यवस्थायें सुधारने के अलावा कर्मचारियों के हितार्थ कोई भी कार्य करना उचित नहीं समझा। कार्य न करने पड़े इस डर के मारे वह अपने चैम्बर में भी बैठने से कतराते रहे। इससे जहां एक ओर मरीज परेशान होकर कार्यालय के कर्मचारियों को परेशान करते रहे वहीं कर्मचारी स्वयं भी किसी भी सरकारी कागजात पर हस्ताक्षर कराने के लिये यहां-वहां भटकते रहे।
इसके अलावा डा नेगी के कार्यकाल में भ्रष्टाचार अपने चरम पर पंहुच गया। कुछ डाक्टरों के ग्रुप के आगे उन्होने पूरी तरह से अपने आपको सरेंडर कर दिया था जिसके कारण इन डाक्टरों ने जमकर मनमानी की।
अपने कार्यकाल में वह एक ऐसे डाक्टर को रेलमंत्री पुरस्कार दिलाने का प्रयास करने के कारण चर्चा में रहे जिस डाक्टर ने सरेआम महिला कर्मचारी को थप्पड़ मारा था। हालांकि रेलवार्ता द्वारा मामला रेलमंत्री और उत्तर मध्य रेलवे के महाप्रबंधक के समक्ष लाने के कारण उक्त डाक्टर को रेलमंत्री पुरस्कार तो नहीं मिला लेकिन जाते-जाते डा नेगी उसे मण्डल रेलप्रबंधक पुरस्कार दिला गये। जबकि यह सर्वविदित है कि जिस अधिकारी/कर्मचारी ने रेलवे के खिलाफ कोर्ट केस किया हो उसे अवार्ड नहीं मिल सकता लेकिन सभी नियमों को दोस्ती की खातिर ताक पर रख दिया गया।
दूसरी ओर डा नेगी से स्थानान्तरण के समय मिलने तक नहीं गये कर्मचारियों ने अस्पताल के एक चपरासी के सेवानिवृत्त होने पर उसे शानदार पार्टी देकर उसके कार्यकाल को जमकर सराहा।