सिंहस्थ में राजनीति का कुंभ बीच में क्यों फूट गया

Bhopal Samachar
भोपाल। उज्जैन सिंहस्थ में राजनीति का कुंभ चारों ओर दिखाई दे रहा था। इस बार उज्जैन में धर्मिक से ज्यादा राजनैतिक आयोजनों की आवाजें सुनाईं दे रहीं थीं। सारा शहर नेताओं के फोटो से पटा पड़ा है। आरोप लग रहे थे कि शिवराज सिंह ने महाकुंभ जैसे धार्मिक आयोजन को अपनी ब्रांडिंग का जरिया बना लिया है, समरसता स्नान पर भी सवाल उठे हैं लेकिन फिर भी भाजपा का अभियान जारी था, कि अचानक भाजपा का कलश सिंहस्थ समापन से पूर्व ही फूट गया। भाजपा ने अपने सारे कार्यक्रम रद्द कर दिए। अब सवाल यह गूंज रहा है कि आखिर ऐसा क्यों किया गया ? इसके पीछे की राजनीति क्या है। 

इस बारे में भारतीज जनता पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष और दीनदयाल विचार प्रतिष्ठान के प्रमुख समन्वयक अजय प्रताप सिंह ने बताया, कुंभ समाप्ति की ओर है। तीर्थ यात्रियों की भीड़ बढ़ रही है, ज्यादा कार्यक्रम कराने में आने वाली कठिनाई को देखते हुए कार्यक्रम निरस्त करने पर सहमति बनी है। उनका कहना है कि शिविर में अन्य व्यवस्थाएं पूर्वतः जारी रहेंगी।

हालांकि भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे का कहना बिलकुल अलग है। उन्होंने कहा, 11 तारीख को अध्यक्ष महोदय का कार्यक्रम यथावत है। बाकी के कार्यक्रम संघ से जुड़े विभिन्न प्रकल्पों और संस्थाओं के थे। उन्होंने इन्हें करने में यदि असहमति जताई होगी। इसका भारतीय जनता पार्टी से कोई संबंध नहीं है। समरसता स्नान पार्टी का कार्यक्रम है और यह हो रहा है।

लेकिन पार्टी के मध्य प्रदेश से जुड़े सूत्र बताते हैं कि चूंकि कार्यक्रम अरविंद मेनन का था इसलिए कोई इसे ठीक से समझ कर आगे नहीं बढ़ा पाया और पार्टी के कुछ वरिष्ठ जन इससे भी खफा है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज चौहान ने सिंहस्थ को अपने प्रचार का एजेंडा बना लिया है। एक बात यह भी सामने आई है कि कल इसी पांडाल में हुए युवा संगम में न के बराबर भीड़ जुटी है। इससे भी आयोजकों की पेशानी पर बल पड़ गए हैं। आयोजक नहीं चाहते कि कम भीड़ की वजह से दांव उल्टा पड़ जाए। यानी जनता में यह संदेश जाए कि पार्टी के साथ लोग कम हैं।

निरस्त हुए कार्यक्रमों में वरिष्ठ नागरिक, आदिवासी, मातृ शक्ति, दिव्यांग, किसान, मीसा बंदी, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा से जुड़े लोगों के सम्मेलन होने थे।
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