
प्राप्त जानकारी के अनुसार कलेक्ट्रर डा.जगदीश चन्द्र जटिया ने पुलिस अधीक्षक, परियोजना अधिकारी जिला शहरी विकास अभिकरण, अनुविभागीय अधिकारी राजस्व समस्त जिला दमोह, मुख्य नगर पालिका अधिकारी समस्त जिला को कार्यवाही के निर्देश जारी कर दिये हैं। ज्ञात हो कि माननीय उच्च न्यायालय द्वारा डब्लू पी 15800/2012 पर सुनवाई करते हुये दिये गये निर्णय के चलते अब प्रदेश में कहीं भी खुले में मांस विक्रय नहीं किया जा सकता है।
2006 में भी हुआ था आदेश
प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्ष 2006 मेंं मध्यप्रदेश के उच्चन्यायालय के तत्कालीन चीफ जस्टिस ए.के.पटनायक एवं जस्टिस एस.सी.सिन्हा की युगल पीठ ने एक विशेष आदेश पारित करते हुये नगर निगम की सीमा एवं एैसे क्षैत्र जहां लोगों का निवास हो वहां पर मुख्य सडकों पर बिना लाईसेंस के मांस,अंडा,मछली के विक्रय को गैर कानूनी घोषित कर दिया था।
सूचना के अधिकार से हुआ था खुलासा
सूचना के अधिकार से प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्ष 2001 से भेड, बकरे, बकरियों, मुर्गे एवं मुर्गियों के परीक्षण की जानकारी निरंक बतलाई गयी है। इनके अनुसार विभाग के पास नगर पालिका द्वारा एक भी पशु मृत्यू पूर्व परिक्षण हेतु नहीं उक्त अवधि में नहीं लाया गया।
क्या है एन्टीमार्टम नियम
जानकारों की माने तो डाक्टरी भाषा मे इसे 'एन्टीमार्टम' कहा जाता है इसके बिना न तो उन पशुओं का वध किया जाता है जो मनुष्यों के खाए जाने योग्य बतलाया गया है एवं न ही मांस का विक्रय किया जाता है। नियमों के जानकारों की माने तो कत्लखाने में ले जाने के पूर्व नगर पालिका का अधिकारी उस पशु को पशु चिकित्सक के पास स्वास्थ्य परीक्षण के लिये ले जाता है उसके परीक्षण प्रमाण पत्र के आधार पर ही उसका वध किया जा सकता है। अगर वह इसकी सिफारिश नहीं करता तो पशु का न तो वध किया जा सकता है न ही उसका मांस विक्रय किया जा सकता है। उलंघन करने वालों के लिये दण्ड के प्रावधान बतलाये गये हैं। परन्तु क्या हो रहा है किसी से छिपा नहीं है देखा जाये तो खुले आम मांसाहारी व्यक्तियों का जीवन खतरे में डाला जा रहा है,दूषित,संक्रामक बीमारियों से ग्रसित जानवरों का मांस धडल्ले से विक्रय हो रहा है। जिले के अनेक होटलों में भी यहीं मांस परोसा जा रहा है।
सडकों पर अंडे और मुर्गे का विक्रय
जिले सहित नगर के मुख्य मार्गों में मुर्गे और मांस को पकाकर एवं कच्चा बेचने की दुकाने आपको देखने मिल जायेंगी जबकि अंडो की ढिलियों की संख्या तो अनगिनित है। कानून के जानकारों की माने तो नगर निगम अधिनियम 1956 के सेक्सन 255 एवं 257 तथा खाद्य अपमिश्रण अधिनियम 1955 के रूल 50 में विहित प्रावधान के तहत विधिवत अनुज्ञप्ति हासिल किये बिना उक्त चीजों का निगम सीमा मेें विक्रय नहीं किया जा सकता है यह दण्डनीय अपराध की श्रेणी में आता है। कितनों को लायसेंस दिया गया है इस प्रकार की जानकारी न तो नपा के पास है और न ही जिला प्रशासन के पास ? परन्तु खुलेआम नियम कानून की धज्जियां उडाई जा रही है?
इनका कहना है
माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के परिपालन में संबधित अधिकारियों को कार्यवाही करने निर्देश लिखित रूप से पत्र के माध्यम से दे दिये गये हैं।
डा.जगदीश चन्द्र जटिया
कलेक्ट्रर दमोह