भोपाल। आयकर विभाग ने इस हफ्ते लीव ट्रैवल अलाउंस और लीव ट्रैवल कंसेशन में टैक्स छूट लेने के फॉर्मेट में कुछ बदलाव किए हैं। विभाग ने एचआरए और होम लोन की ब्याज दर में छूट लेने के नियमों में भी कुछ संशोधन किए है। इसी साल 1 जून से लागू होने वाले इन नियमों के लिए कुछ खास तैयारी करनी पड़ेगी।
नया फॉर्म 12 बीबी
आयकर विभाग ने एलटीए, एलटीसी, एचआरए की रिर्पोटिंग फॉर्मेट बदल दिए हैं। मौजूदा व्यवस्था के तहत कर्मचारी हर वित्त वर्ष के तमाम दस्तावेजों के साथ टैक्स छूट के लिए कंपनी को सेल्फ डिक्लेरेशन देते हैं। कंपनी कर्मचारी की घोषणा के बाद उसकी अनुमानित आय के हिसाब से टैक्स काटती है। हालांकि अब तक इस तरह के डिक्लेरेशन देने का कोई मान्य फॉर्मेट नहीं था। कर्मचारियों के डिक्लेरेशन फाइल करने के लिए अब नया फॉर्म 12 बीबी लाया गया है। विभाग ने यह बदलाव डिक्लेरेशन फॉर्म में समानता लाने के लिए किया है।
- नए फॉर्म में भरनी होगी ये जानकारी
- एचआरए 1 लाख से ऊपर किराया देने पर मकान मालिक का नाम, पैन नंबर
- एलटीए खर्च की रसीद
- होमलोन पर ब्याज में छूट बेचने वाले का नाम, पता और पैन नंबर
- चैप्टर सिक्स ए के तहत छूट खर्च की रसीद
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
इस संबध में सुप्रीम कोर्ट का एक फैसला भी महत्वपूर्ण है। सीआईटी बनाम एल एंड टी (181 टैक्समन 71 (एससी) 2009) में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था कि कंपनी बिल जमा करके यह साबित करने की जरूरत नहीं है कि कर्मचारियों ने वास्तव में वह रकम खर्च की है।
आसान होगी प्रक्रिया
मौजूदा संशोधन से कंपनियों को अब कर्मचारियों को टैक्स बेनिफिट देने से पहले सुझाए गए फॉर्मेट में सबूतों के साथ बिल जमा करने होंगे। इस नए फॉर्मेट से अब कंपनियों को तय नियम के मुताबिक जानकारी इकठ्ठा करनी होगी। इससे एसेसमेंट की प्रक्रिया आसान होगी और टैक्स अधिकारियों को एक फॉर्मेट में जानकारी मिलेगी। विशेषज्ञों के मुताबिक यह स्वागत योग्य कदम है। इससे आने वाले समय में बेसिर-पैर के कानूनी विवाद खत्म हो जाएंगे।
कर्मचारियों पर असर
आयकर विभाग के इस बदलाव से झूठे क्लेम करना मुश्किल हो जाएगा। कर्मचारियों के लिए हर टैक्स छूट की रसीद देना अनिवार्य हो जाएगा।