
उल्लेखनीय है कि वर्तमान में जौरा विधायक सूबेदार सिंह सिकरवार एवं उनके परिजन लंबे समय से मार्केटिंग सोसाईटी पर काबिज रहे हैं। जानकारी के अनुसार जौरा विधायक ने संस्था के अध्यक्ष पद पर रहते वर्ष 1998 में नगर के मध्य स्थित औकाफ की बेशकीमती भूमि सर्वे क्रमांक 422 संस्था का गोदाम बनाने के लिये आवंटित की गई थी। वर्तमान विधायक ने संस्था के को आवंटित बेशकीमती औकाफ भूमि पर मनमानी पूर्वक दर्जन भर दुकानों का निर्माण कराकर उन्हें नीलाम करा दिया।
जबकि लीज की शर्तों एवं नियमों के मुताबिक गोदाम के लिये आवंटित औकाफ भूमि आवंटन के प्रयोजन से प्रथक ब्यवसायिक उपयोग के लिये किया जाना वर्जित है। सोसाईटी अध्यक्ष रहते विधायक सिकरवार द्वारा नियमों को ताक पर रखकर उक्त दुकानों को दुकानदारों को विक्रय कर दिया। जानकारों का कहना तो यहां तक है कि संस्था अध्यक्ष द्वारा उस समय दुकानों से मोटी कीमत बसूल की गई थी।
नहीं ली विक्रय एवं निर्माण की स्वीकृति
माकेटिंग सोसाईटी जौरा के अध्यक्ष पद पर रहते उस समय वर्तमान अध्यक्ष सूबेदार सिंह सिकरवार द्वारा गोदाम के लिये आबंटित भूमि पर दुकानों का निर्माण करने एवं उन्हें विक्रय करने की कोई अनुमति सहकारिता एवं राजस्व विभाग के अधिकारियों से नहीं ली गई इस कारण विधायक के इस कृत्य को अवैध माना जा रहा है।
विधान सभा को भी किया गुमराह
मामले में दोषी पाये गये विधायक की पहुंच का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि मार्केटिंग सोसाईटी जौरा में अनियमितताओं के संबंध में तत्कालीन सुमावली विधायक ऐंदल सिंह कंसाना द्वारा विधानसभा में पूछे गये अतारांकित प्रश्न क्रमांक 86 (क्रमांक 5329) जिसका उत्तर दिनांक 5 अप्रेल 2002 को देते हुए विधानसभा में देते हुए इस मामले में दोषियों के खिलाफ कार्यवाही किये जाने की बात कही गई, लेकिन मामले में आज तक दोषियों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हो सकी है।