
6 अप्रैल 2016 को तत्कालीन थाना प्रभारी रामबाबू यादव ने सुनील उर्फ रज्जन यादव को पकड़कर थाने में बंद कर लिया था। जब उसके परिजन उसे छुड़ाने पहुंचे तो उनसे एक लाख रुपए की रिश्वत की मांग की। वे पैसा नहीं दे सके तो सुनील की थाने में जमकर मारपीट की गई, जिसकी वजह से उसकी मौत हो गई।
थाना प्रभारी पर हत्या का केस दर्ज कराने के लिए टुंडा ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अभिषेक पाराशर ने कोर्ट को बताया कि पैसों के लिए उसके साथ मारपीट की गई थी, जब पैसे नहीं दे पाया तो उसे बेरहमी से पीटा गया। इसके चलते उसकी मौत हुई है, लेकिन पुलिस इस मामले को दबाने में लगी है, जबकि थाना प्रभारी पर हत्या का केस बनाता है। कोर्ट ने एसपी को प्राथमिकी दर्ज कर जांच के आदेश दिए हैं।