
थाने का घेराव करने वालों में इंदौर सहित उज्जैन, देवास, सोनकच्छ आदि शहरों से आए लोग शामिल थे। सभी जीएन गोल्ड नामक चिटफंड कंपनी (मेट्रो टावर में ऑफिस था) में रुपया जमा करते थे। पीड़ित कपिलेश राव बड़ेकर ने बताया कि कंपनी जनता स्कीम के तहत 100 से लेकर तो हजारों रुपयों तक जमा करती थी। अधिकारियों का कहना था कि रुपया ब्याज सहित पांच साल में लौटा दिया जाएगा, जबकि एफडी छह साल में दोगुनी करके दी जाएगी।
इस पर सभी उनकी बातों में आ गए। हमारे जानने वालों में से 70 लोगों ने इसमें रुपया जमा किया। 2014 में अवधि पूरी होने के बाद भी जब रुपया नहीं मिला तो कंपनी के अधिकारियों से लोगों ने रुपयों की मांग की। इस पर वह कंपनी बंद करके भाग गए। तब पुलिस ने हरदीप सिंह के खिलाफ केस दर्ज किया था, जबकि कंपनी के अधिकारी सतनाम सिंह, बलजीत सिंह, सैली थॉमस, मध्यप्रदेश के ब्रह्मानंद पटेल सहित अन्य लोग थे। सोमवार को थाने में पीड़ित पक्ष पहुंचा और आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। टीआई ने उन्हें आश्वासन दिया कि वह आरोपियों के नाम एफआईआर में बढ़ाने के साथ उन पर कार्रवाई करेंगे। उसके बाद पीड़ित थाने से चले गए।