नईदिल्ली। जालसाजों ने सरकारी कंपनी हिंदुस्तान प्रीफैब लिमिटेड की फर्जी बेवसाइट बनाकर 1600 पदों पर भर्ती वाला विज्ञापन जारी कर दिया। देश भर से दनादन आवेदन आने लगे। जालसाजों ने आवेदन के साथ 1050 रुपए का डीडी भी मांगा था। देखते ही देखते लाखों रुपए जमा हो गए, लेकिन एक सक्रिय अभ्यर्थी और पोस्टमास्टर की सजगता के चलते मामले का खुलासा हो गया। पुलिस ने 3 ठगों को गिरफ्तार कर लिया है।
पुलिस ने मास्टरमाइंड विजय कुमार निवासी सेक्टर-18 फरीदाबाद के साथ रवि टंडन निवासी संजय नगर गाजियाबाद और फर्जी वेबसाइट बनाने वाले रवि कुमार को जेल भेज दिया है। मामले की जांच कर रहे सब इंस्पेक्टर सत्यनारायण ने बताया कि मास्टर माइंड विजय प्रॉपर्टी का धंधा करता था। इंजीनियरिंग का डिप्लोमा किए विजय ने जमीन के धंधे में मंदी आने पर अपने लिए रोजगार की वेबसाइट पर जॉब तलाश करनी शुरू कर दी। इस दौरान उसे रोजगार देने के नाम पर लोगों से फीस वसूल कर ठगने का आइडिया आया।
उसने रवि कुमार के साथ मिलकर 21 अप्रैल को एचपीएल की फर्जी वेबसाइट डिजाइन की और उस पर विभिन्न पदों की 1600 रिक्तियां निकाल दीं। उसने अखबारों में भी एचपीएल के लोगो का इस्तेमाल करते हुए और उसे सरकारी उपक्रम बताकर 1600 रिक्तियों का विज्ञापन जारी किया।
आवेदन के साथ 1050 रुपये कीमत का डिमांड ड्राफ्ट भी एचपीएल इंडिया के नाम से मांगा गया था। इन डिमांड ड्राफ्ट को कैश कराने के लिए उसने एसवीसी बैंक फरीदाबाद, सेंट्रल बैंक ऋषिकेश और नैनीताल बैंक देहरादून की शाखाओं में खाते खुलवाए थे।
पलवल के आजाद ने भी इस कंपनी का फार्म भरा था। 25 मई को वह कंपनी के पते पर नीलम बाटा रोड स्थित शुभम टावर पहुंचा। यहां उसे फर्जीवाड़े का पता चला और उसने कोतवाली में केस दर्ज कराया था। विजय को पहले ही पकड़ा जा चुका था।
रिमांड के दौरान उसकी निशानदेही पर पुलिस ने रवि टंडन को गाजियाबाद और रवि किशोर को कठपुतली कॉलोनी शादीपुर दिल्ली से गिरफ्तार किया है। दोनों के पास से पुलिस ने फर्जी वेबसाइट बनाने वाला कंप्यूटर, सादे व भरे आवेदन फार्म और मुहरें आदि बरामद कीं। एसएचओ कोतवाली इंस्पेक्टर सुमन ने बताया कि तीनों को जेल भेज दिया गया है।
पोस्टमास्टर ने दिखाई समझदारी
करीब 1500 आवेदकों के फार्म और डिमांड ड्राफ्ट ठगों के पास पहुंच जाते लेकिन नेहरू ग्राउंड प्रधान डाकघर के पोस्टमास्टर गुलशन भाटिया ने शक के आधार पर उनकी डिलीवरी रुकवा दी थी। उनके मुताबिक किसी सरकारी संस्था का कार्यालय शुभम टावर में होना अटपटा सा लगा।उन्होंने डिलीवरी रोकने के निर्देश दिए ही थे कि पलवल के आजाद और पुलिस ने पहुंचकर कंपनी के फर्जी होने की बात बताई। इसके बाद उन्होंने 984 आवेदकों के फार्म उनके पते पर वापस भिजवाए।