अब वर्दी छोड़ कलेक्टर बनेंगी IPS गरिमा सिंह

Bhopal Samachar
झांसी। आईपीएस गरिमा सिंह ने एक बार फिर कमाल करते हुए आईएएस के लिए क्वालिफाई कर लिया है। 2015 के यूपीएससी फाइनल में उन्होंने 55वीं रैंक हासिल की। बता दें कि हाल ही में उन्हें झांसी जिले की कमान सौंपी गई थी। गरिमा महज 25 की उम्र में आईपीएस बनी थीं। 29 की उम्र में उन्होंने आईएएस के लिए क्वालिफाई कर लिया। 

ड्यूटी के बीच निकाला स्टडी टाइम
नौकरी के बाद कई लोग कोशिश छोड़ देते हैं, लेकिन गरिमा सिंह ने जूनून की हद तक मेहनत की। गरिमा ने बताया, "आईपीएस की ड्यूटी मुश्किल होती है। ड्यूटी के बीच रहते हुए मैं लंच में एक घंटे पढ़ाई कर लेती थी। इसके अलावा कभी शाम को 1 घंटा भी स्टडी करती थी। गरिमा ड्यूटी पर जाने से पहले रोज सुबह एग्जाम प्रिपरेशन करती थीं। यही नहीं, संडे की छुट्टी भी उनकी स्टडीज में बीतती थी।

एग्जाम एस्पिरेंट्स को दिए टिप्स
गरिमा सिंह ने कहा, "आईपीएस बनने के बाद से मैंने आईएएस बनने की ठान ली थी आखिरकार मेरी मेहनत सफल हुई। लेकिन वर्दी छोड़ना मुझे बुरा लगेगा। वर्दी पर मुझे प्राउड है। एक जॉब में 3 साल तक कोई हो, तो लगाव हो ही जाता है। गरिमा ने बताया, "आईएएस के तौर पर दायरा बढ़ जाता है। लोगों की मदद ज्यादा बेहतर तरीके से कर सकते हैं। पब्लिक से सीधे जुड़ने का मौका मिलता है। सिविल सर्विस की तैयारी करने वालों को गरिमा ने टिप्स भी दिए। उन्होंने बताया कि प्रिपरेशन में टाइम मैनेजमेंट सबसे इंपोर्टेंट है। कैपेसिटी डेवेलप करें। धैर्य रखें। योजना बद्ध तरीके से पढाई करें।

कैसा रहा शुरुआती करियर
आईपीएस गरिमा सिंह इन दिनों झांसी की सुरक्षा व्यवस्था संभाल रही हैं। 
वे बलिया जिले के गांव कथौली की रहने वाली हैं। 
गरिमा का सपना हमेशा से आईपीएस बनने का नहीं था, वो एमबीबीएस की पढ़ाई कर डॉक्टर बनना चाहती थीं। 
गरिमा बताती हैं, "मेरे पापा ओमकार नाथ सिंह पेशे से इंजीनियर हैं। वे चाहते थे कि मैं सिविल सर्विसेज में जाऊं। सिर्फ उनके कहने पर मैंने तैयारी शुरू की।" 
गरिमा ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के सेंट स्टीफन कॉलेज से बीए और एमए (हिस्ट्री) की पढ़ाई की है।
उन्होंने पहली बार 2012 में सिविल सर्विसेज का एग्जाम दिया था और तभी उनका सिलेक्शन आईपीएस में हो गया।

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