अवैध घोषित हो सकतीं हैं ITM UNIVERSITY की डिग्रियां

डॉ. अमरनाथ गोस्वामी/ग्वालियर। आईटीएम विश्वविद्यालय की मनमानी से छात्रों की परेशानी बढ़ सकती है। दरअसल, विवि ने परिनियम, अध्यादेश व विनियमों का गजट नोटिफिकेशन होने से पहले ही अपने यहां कक्षाएं शुरू कर दी थीं। यह कारगुजारी पिछले महीने विधानसभा में पेश की गई सीएजी की रिपोर्ट में उजागर हुई है।

सीएजी को मप्र निजी विवि आयोग के दफ्तर के ऑडिट के दौरान पता चला कि आईटीएम विवि ने शैक्षणिक सत्र 2011-12 के लिए प्रवेश व कक्षाओं का संचालन इसी सत्र की शुरुआत में ही कर दिया था, लेकिन इससे संबंधित अध्यादेश का राजपत्र में प्रकाशन 10 फरवरी 2012 को हुआ है। इतना ही नहीं संबंधित परिनियमों का गजट नोटिफिकेशन कब हुआ? आयोग इसका कोई रिकॉर्ड सीएजी टीम को उपलब्ध नहीं करा सका।

आयोग पर गंभीर टिप्पणी
सीएजी ने निजी विश्वविद्यालय के अध्यादेश, परिनियम एवं विनियम के राजपत्र में प्रकाशित होने से पहले विवि के संचालन पर तो अंगुली उठाई ही है, आयोग की नीयत पर भी सवालिया निशान लगाया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मप्रनिविवि आयोग ने अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करने पर भी विवि के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। सीएजी ने अपनी अनुशंसा में स्पष्ट कहा है कि आयोग को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी निजी विवि संबंधित अध्यादेश एवं परिनियम के प्रकाशन के पूर्व कक्षाएं शुरू न कर सके।

ऐसे होना था संचालन
निजी विवि द्वारा जब कोई पाठ्यक्रम शुरू किया जाता है तो सबसे पहले बोर्ड ऑफ स्टडीज का गठन किया जाता है। बोर्ड ऑफ स्टडीज पाठ्यक्रम तैयार करती है। तैयार पाठ्यक्रम को प्लानिंग एंड एवेल्यूशन बोर्ड में रखा जाता है। बोर्ड के अनुमोदन के बाद उसे आयोग के पास भेजा जाता है। आयोग की अनुशंसा पर शासन के स्तर पर अनुमति प्रदान की जाती है।

निर्णय लोक लेखा समिति करेगी
विधानसभा में पेश की गई सीएजी की रिपोर्ट पर कार्रवाई का निर्णय लोकलेखा समिति को करना है। समिति इस मामले में विभाग के अधिकारियों से जवाब तलब करेगी। संतुष्ट न होने पर समिति को प्रदेश के मुख्य सचिव तक को तलब करने का अधिकार है।

आईटीएम विवि ग्वालियर के कुलसचिव ओमवीर सिंह ने कहा गजट नोटिफिकेशन की प्रक्रिया में समय लग जाता है। हमने प्रक्रिया पूरी की है। यह अकेले आईटीएम के मामले में नहीं हुआ है। अन्य निजी विवि का नाम भी रिपोर्ट में है।

लोक लेखा समिति के अध्यक्ष महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा ने कहा सीएजी द्वारा उठाई गई आपत्तियों पर उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों को बुलाकर पहले मौखिक और उसके बाद लिखित जवाब तलब किया जाएगा। उनके जवाब के आधार पर राज्य सरकार को कार्रवाई की अनुशंसा की जाएगी।

डिग्री पर इसलिए संकट 
सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि मप्र निजी विवि (स्थापना एवं संचालन) अधिनियम 2007 की धारा-7 (चार)(ड) के साथ पठित धारा-35 के तहत संबंधित अध्यादेशों के अनुमोदन होने तक प्रवेश व कक्षाओं का संचालन शुरू नहीं हो सकता था। यह भी स्पष्ट किया है कि अनुमोदन की तिथि गजट नोटिफिकेशन की तिथि से ही मान्य होगी। सीएजी टीम के एक सदस्य ने नईदुनिया को बताया कि ऐसी स्थिति में यह सत्र शून्य घोषित होना चाहिए था। वहीं आईटीएम ने शासन द्वारा निर्धारित इस प्रक्रिया की पूरी तरह अनदेखी की है। ऐसे में इस सत्र में प्रवेश लेने वालों की डिग्रियों की वैधानिकता संकट में है।

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!