भोपाल। मप्र पुलिस भर्ती में सामान्य वर्ग में देशभर के अभ्यर्थियों के लिए अवसर और आरक्षित वर्ग में केवल मप्र के अभ्यर्थियों की अनिवार्यता के मामले में अब गृहमंत्री और डीजीपी के बीच ठन गई है। गृहमंत्री ने पीएचक्यू के जवाब को बेतुका मानते हुए स्पष्ट कहा है कि यह मप्र पुलिस है, मिलिट्री नहीं। नियम तो हर हाल में बदलना होगा।
पिछले दिनों गृहमंत्री बाबूलाल गौर ने डीजीपी सुरेंद्र सिंह को पत्र लिखा और पूछा कि नियम में बदलाव किया जा सकता है या नहीं और यह नियम किस आधार पर 12 साल पहले लागू किया गया था। सूत्रों की मानी जाए तो पुलिस मुख्यालय ने जवाब में बताया कि मिलिट्री में हर राज्य के लोगों को भर्ती का मौका दिया जाता है। इसी आधार पर 12 साल पहले प्रदेश पुलिस ने भी नियम बनाया था कि आरक्षक भर्ती में हर राज्य का व्यक्ति आवेदन कर सकता है।
पीएचक्यू के इस उत्तर से अंसतुष्ट गौर ने फिर से पुलिस मुख्यालय से कहा है कि मिलिट्री और पुलिस में फर्क है। लिहाजा, ऐसे नियम बनाए जिनमें प्रदेश के लोगों को पहली प्राथमिकता मिले। उन्होंने कहा है कि वे इन नियमों को हर हाल में लागू करवाएंगे।
उन्होंने कहा कि प्रदेश पुलिस मिलिट्री नहीं है, उसके आधार पर भर्ती के नियम बनाए जाने का कोई औचित्य नहीं है। ऐसे नियम बनाए जाएंगे। जिसमें प्रदेश के युवाओं को ज्यादा से ज्यादा मौका मिले। औपचारिकताएं पूरी कराने के बाद इसका गजट नोटिफिकेशन कराया जाएगा। अगली भर्ती नए नियमों से ही होगी।
क्या है मामला
मप्र पुलिस में आवेदकों के लिए बड़ा अजीब नियम है। इस नियम के तहत यदि आप आरक्षित वर्ग से आते हैं तो आपका मप्र का मूलनिवासी होना जरूरी है, लेकिन यदि आप सामान्य वर्ग से हैं तो देश के किसी भी राज्य का अभ्यर्थी आवेदन कर सकता है।
प्रदेश भर में हुए उग्र प्रदर्शन
इस नियम के खिलाफ प्रदेश के कई जिलों में उग्र प्रदर्शन हुए। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि आरक्षित और अनाक्षित वर्ग के लिए राज्य और देश अलग अलग नहीं किए जा सकते। वो मप्र पुलिस में मप्र के अभ्यर्थियों को भर्ती करने की मांग कर रहे थे। इसे लेकर कई जिलों में उग्र प्रदर्शन हुए। अभ्यर्थियों ने गृहमंत्री को खुद आकर ज्ञापन सौंपा। इसी आधार पर उन्होंने डीजीपी को पत्र लिखा था।