इंदौर। 2 साल से विवादों के बीच झूल रही राज्यसेवा परीक्षा-2012 के मामले में एमपी पीएससी ने निर्णय ले लिया है। एसटीएफ की रिपोर्ट के अनुसार पेपर आउट हुआ था लेकिन पीएससी ने तय किया है कि इंटरव्यू कराए जाएंगे। यदि उम्मीदवार की संलिप्पता पाई गई तो नियुक्ति निरस्त कर दी जाएगी।
राज्यसेवा-2012 की मुख्य परीक्षा 2013 में हुई थी। नतीजों के बाद 1192 उम्मीदवारों को इंटरव्यू के लिए योग्य घोषित किया गया था। जुलाई 2014 में इंटरव्यू शुरू होना थे, लेकिन इसके पहले ही राज्यसेवा के साथ ही एक अन्य परीक्षा के पर्चे लीक होने की खबरें सामने आ गईं। दिल्ली क्राइम ब्रांच और एसटीएफ ने एक गिरोह भी पकड़ लिया। इसके बाद पीएससी ने दूसरी परीक्षा तो तुरंत निरस्त कर दी क्योंकि उसके नतीजे घोषित नहीं हुए थे, जबकि राज्यसेवा के इंटरव्यू स्थगित कर अंतिम निर्णय एसटीएफ की रिपोर्ट के इंतजार में टाल दिया गया था।
पेपर आउट लेकिन प्रक्रिया होगी
एसटीएफ की रिपोर्ट के इंतजार में दो साल से मामला टलता रहा। एसटीएफ ने पीएससी को एक प्रारंभिक रिपोर्ट भेजी। रिपोर्ट में माना गया कि परीक्षा के पेपर आउट हुए थे। हालांकि आउट हुए पेपर से लाभ लेने वाले उम्मीदवारों की संख्या का खुलासा नहीं किया गया। आरंभिक तौर पर करीब 12 उम्मीदवारों के ही गिरोह के संपर्क में आने की बात कही गई। इस बीच कुछ उम्मीदवार कोर्ट चले गए और निर्णय की मांग की। हाई कोर्ट ने पंजाब पीएससी के मामले में आए एक निर्णय का हवाला देते हुए पीएससी को निर्णय लेने का आदेश दिया।
अब होगा यह
आयोग की बैठक में फैसला लिया गया है कि इंटरव्यू जुलाई में करवाए जाएंगे। इससे पहले सभी उम्मीदवारों से घोषणा-पत्र लिया जाएगा कि यदि उनकी संलिप्तता पेपर आउट मामले में सामने आती है तो उनका चयन निरस्त हो जाएगा। इसके बाद इंटरव्यू करवाते हुए अंतिम चयन सूची जारी कर दी जाएगी। इसी से 2012 बैच के करीब 400 उम्मीदवारों की प्रशासनिक पदों पर नियुक्ति होगी।
विरोधी जाएंगे कोर्ट
इस बीच पेपर आउट होने के बिंदु पर परीक्षा प्रक्रिया को दोषपूर्ण बता रहे उम्मीदवारों ने फिर से कोर्ट जाने की तैयारी कर ली है। विरोध कर रहे उम्मीदवारों का कहना है कि जिस परीक्षा में दोनों चरणों में पेपर आउट होने की बात साबित हो चुकी है उस प्रक्रिया से चयन कैसे किया जा सकता है।
एडीपीओ पर फैसला
बैठक में एडीपीओ-2010 पर सुप्रीम कोर्ट से केस जीत कर आए पांच उम्मीदवारों का प्रकरण भी रखा गया। आयोग ने एक लाइन में निर्णय पारित कर दिया कि विधिक राय के मुताबिक प्रक्रिया की जाए। हालांकि पीएससी ने साफ नहीं किया है कि इन उम्मीदवारों को नौकरी दी जाएगी या बतौर हर्जाना पांच लाख रुपए।