नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को नेशनल एलिजिबिलिटी एंट्रेंस टेस्ट (नीट) परीक्षा देने वाले छात्र-छात्राओं को बड़ी राहत दी। कोर्ट ने कहा कि जिन छात्रों ने एक मई को नीट-1 परीक्षा दी है वे 24 जुलाई को नीट-2 में भी बैठ सकेंगे। कोर्ट ने कहा, “जिन छात्रों को लगता है कि उन्हें नीट-1 की तैयारी के लिए ज्यादा वक्त नहीं मिला, वे नीट-2 भी दे सकते हैं। लेकिन ऐसे छात्रों को नीट-1 की दावेदारी छोड़नी होगी। दोबारा परीक्षा देने वाले छात्रों के नीट-2 के अंक ही मान्य होंगे। इसके अलावा जिन छात्रों ने नीट-1 के लिए आवेदन किया, लेकिन किसी वजह से परीक्षा नहीं दे सके, वे भी नीट-2 में बैठ सकते हैं।’
क्या कहना है विशेषज्ञो का
हालांकि मेडिकल एंट्रेंस टेस्ट विशेषज्ञ नगेंद्र शेखावत का कहना है कि सर्वोच्च न्यायालय के इस निर्णय से प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों की मनमानी पर तो लगाम लगेगी। लेकिन यह भ्रम है कि कौन स्टूडेंट्स परीक्षा दे और कौन नहीं। नीट टू परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स यदि असफल होते हैं तो उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ हो जाएगा। हालांकि जस्टिस अनिल आर. दवे की अध्यक्षता वाली बेंच ने राज्यों, मेडिकल कॉलेजों और अल्पसंख्यक संस्थानों को अलग से क्षेत्रीय भाषाओं में परीक्षा लेने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है। नीट-2 पूरे देश में अंग्रेजी के साथ क्षेत्रीय भाषाओं में भी होगी। जबकि नीट-1 सिर्फ अंग्रेजी में ही हुई थी। कोर्ट ने इससे पहले शुक्रवार को व्यवस्था दी थी कि नीट-1 देने वाले छात्र नीट-2 में नहीं बैठ सकते। लेकिन अब अपने फैसले में बदलाव किया है।
जरूरी हो तो परीक्षा का समय बदल लें
कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं (केंद्र और सीबीएसई) से कहा कि जरूरी हो तो नीट-2 परीक्षा की तारीख वे दोबारा तय कर सकते हैं। नीट-1 और नीट-2 दोनों का रिजल्ट एकसाथ 17 अगस्त को आएगा। 30 सितंबर तक एडमिशन की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि परीक्षा सीबीएसई ही आयोजित करेगा। सिर्फ नीट परीक्षा के जरिए ही एमबीबीएस या बीडीएस में प्रवेश लिया जा सकेगा।