नई दिल्ली। व्यापमं जैसे घोटालों को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए देशभर में एक साथ कॉमन मेडिकल टेस्ट (NEET) कराने के आदेश दिए थे। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश ने उन तमाम दलालों और मेडिकल कॉलेज संचालकों की नींद उड़ा दीं थीं जो मेडिकल कॉलेजों में मोटी रकम के बदले सीट दिलाया करते थे। ऐसे महत्वपूर्ण फैसले को मोदी सरकार ने फिलहाल एक साल के लिए टाल दिया है। केंद्र सरकार ने इसे अगले साल तक टालने के लिए अध्यादेश को मंजूरी दे दी है। इसे लेकर शुक्रवार सुबह ही कैबिनेट की बैठक हुई जिसमें राज्यों के बोर्ड को एक साल तक NEET से छूट मिल गई है।
सरकार ने साझा चिकित्सा प्रवेश परीक्षा नीट के दायरे से राज्य बोर्डों को एक एकेडमी वर्ष के लिए दूर रखने वाले अध्यादेश की घोषणा को आज मंजूरी दे दी। इस कार्यकारी आदेश का मकसद उच्चतम न्यायालय के उस फैसले को ‘आंशिक’ रूप से बदलना है जिसमें कहा गया है कि सभी सरकारी कॉलेज, डीम्ड विश्वविद्यालय एवं निजी चिकित्सा कॉलेज नीट के दायरे में आएंगे।
परीक्षा का अगला चरण 24 जुलाई को होना है। नीट की पहले चरण की परीक्षा एक मई को हुई थी जिसमें करीब 6.5 लाख छात्र बैठे थे। सरकारी सूत्रों ने स्पष्ट किया कि अध्यादेश जारी हो जाने के बाद राज्य बोडरें के छात्रों को 24 जुलाई को नीट के लिए नहीं बैठना होगा लेकिन उन्हें आगामी अकादमिक सत्र से साझा प्रवेश परीक्षा का हिस्सा बनना होगा।
यह परीक्षा निजी चिकित्सा कॉलेजों और केंद्र सरकार के लिए आवेदन कर रहे प्रार्थियों के लिए होगी। राज्यों ने हाल में स्वास्थ्य मंत्रियों के सम्मेलन में छात्रों की भाषा और पाठ्यक्रम संबंधी कई समस्याएं उठाई थीं। उन्होंने कहा था कि राज्य बोडरें से संबद्ध छात्रों के लिए इतनी जल्दी (जुलाई में) साझा परीक्षा देना मुश्किल होगा। स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा अध्यादेश की आवश्यकता के बारे में बताने के लिए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात कर सकते हैं।