नई दिल्ली । मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (नीट) का दूसरा चरण भी अपने निर्धारित समय से होगा। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने इसको एक साल रोकने के संबंध में आ रही सभी खबरों को गलत करार दिया। कहा जा रहा था कि इस वर्ष राज्य सरकारों के कॉलेजों को साझा परीक्षा से छूट देने के लिए केंद्र सरकार अध्यादेश ला रही है।
नड्डा ने एक एजेंसी से कहा- 'केंद्र सरकार की ओर से अध्यादेश लाकर नीट को समाप्त करने के बारे में आ रही सभी खबरें गलत हैं। मैं फिर स्पष्ट करना चाहता हूं कि नीट लागू हो चुका है और यह अब भी अस्तित्व में है। इसका पहला चरण पूरा हो चुका है और दूसरा दूसरा चरण 24 जुलाई को होगा।'
साथ ही उन्होंने कहा कि केंद्रीय कैबिनेट में अन्य मुद्दों के साथ इस पर भी चर्चा हुई। हम विमर्श कर रहे हैं और देख रहे हैं कि कैसे कोई आसान रास्ता निकले।
इससे पहले बताया जा रहा था कि केंद्र सरकार ने कैबिनेट की बैठक में नीट को आंशिक रूप से एक साल के लिए टालने का फैसला किया है। शाम को इस अध्यादेश की जरूरत बताने के लिए नड्डा के राष्ट्रपति से मुलाकात के लिए जाने की भी खबरें आ रही थीं। मगर अचानक देर रात नड्डा का यह बयान आ गया, जिसमें उन्होंने कैबिनेट द्वारा इस तरह का फैसला लिए जाने से पूरी तरह इनकार कर दिया। अगर सरकार का अध्यादेश आता तो नीट पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला प्रभावित होता।
कोर्ट ने कहा था कि देश के सभी कॉलेजों में मेडिकल और डेंटल की सभी सीटों पर दाखिले के लिए यह परीक्षा जरूरी होगी। इसमें राज्य सरकारों के कॉलेज भी शामिल थे लेकिन इसके बाद राज्य सरकारों ने एतराज करना शुरू कर दिया। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने बीते सोमवार को राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों से भी इस विषय पर चर्चा की थी। तब अधिकतर राज्यों ने इसे एक वर्ष तक के लिए टालने की अपील की थी।
इसी तरह केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस मामले पर सोमवार को ही सर्वदलीय बैठक भी बुलाई थी। उसमें भी विभिन्न पार्टियों की ओर से इसे कम-से-कम एक साल तक टालने पर जोर दिया गया था। हालांकि केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट में कह चुकी है कि वह इसी वर्ष से यह परीक्षा आयोजित करवाने के लिए तैयार है।