नईदिल्ली। यदि जिद अच्छी हो तो जिंदगी बदल जाती है। मुंबई का सफाईकर्मी सुनील यादव इसका बड़ा उदाहरण है। कचरा साफ करते करते उसने डबल ग्रेजुएशन कर लिया, फिर डबल मास्टर्स भी किया। यात्रा यहीं नहीं रुकी, एमफिल भी पास कर लिया। पढ़ाई के चलते विदेश यात्रा का मौका भी मिला। चाहते तो सरकार से प्रमोशन मांग सकते थे, दूसरी नौकरी भी मिल सकती थी लेकिन नहीं, अब जिद है कि सफाईकर्मियों के हालात पर पीएचडी करेंगे और सफाईकर्मियों की दशा बदल देंगे।
37 साल के सुनील यादव मुंबई बीएमसी में सफाईकर्मी की नौकरी करते हैं। 5-5 बड़ी बड़ी डिग्रियां ले रखी हैं। इतनी पढ़ाई करने के बाद ऐसा नहीं है कि उन्हें दूसरी नौकरी नहीं मिल रही है। वो सफाईकर्मिय़ों के सम्मान की लड़ाई लड़ रहे हैं, इसलिए बीएमसी का काम नहीं छोड़ रहे।
पढ़ाई के दौरान इन्हें रिसर्च के लिए दक्षिण अफ्रीका जाने का मौक़ा भी मिला। इन्होंने अपनी पत्नी को भी बीए करवा दी है। अब पीएचडी करके सफाई कर्मचारियों की समस्याओं पर शोध करके उनकी जिंदगी बदलने की तमन्ना है। पढ़ाई लिखाई तो एक तरफ लेकिन सिर्फ ये सोच ही उऩ्हें करोड़ों से अलग कर जाती है।
इनपुट: संकेत पाठक/मुंबई।