
37 साल के सुनील यादव मुंबई बीएमसी में सफाईकर्मी की नौकरी करते हैं। 5-5 बड़ी बड़ी डिग्रियां ले रखी हैं। इतनी पढ़ाई करने के बाद ऐसा नहीं है कि उन्हें दूसरी नौकरी नहीं मिल रही है। वो सफाईकर्मिय़ों के सम्मान की लड़ाई लड़ रहे हैं, इसलिए बीएमसी का काम नहीं छोड़ रहे।
पढ़ाई के दौरान इन्हें रिसर्च के लिए दक्षिण अफ्रीका जाने का मौक़ा भी मिला। इन्होंने अपनी पत्नी को भी बीए करवा दी है। अब पीएचडी करके सफाई कर्मचारियों की समस्याओं पर शोध करके उनकी जिंदगी बदलने की तमन्ना है। पढ़ाई लिखाई तो एक तरफ लेकिन सिर्फ ये सोच ही उऩ्हें करोड़ों से अलग कर जाती है।
इनपुट: संकेत पाठक/मुंबई।