100 साल पहले मप्र में बनी थी भारत की पहली स्मार्टसिटी

उपदेश अवस्थी/भोपाल। सारा देश इन दिनों स्मार्ट सिटी के कांसेप्ट पर काम कर रहा है लेकिन एक राजा था जो आज से 100 साल पहले इस कांसेप्ट पर काम कर चुका है और उसका प्रोजेक्ट पूरी तरह सफल भी रहा था। इसके लिए देश ही नहीं सारी दुनिया में उसकी तारीफ की गई थी। 

उस राजा का नाम है, माधौ राव सिंधिया और उस स्मार्टसिटी का नाम है शिवपुरी। यह शहर ग्वालियर संभाग में आता है। अपन आगे बात करें इससे पहले क्लीयर कर दूं कि यहां जिक्र माधौ राव सिंधिया का हो रहा है जो 20 October 1876 से 5 June 1925 ग्वालियर राज्य के महाराज रहे, उन माधवराव सिंधिया का नहीं जो शिवपुरी के सांसद और कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे। 

  • 1899 से पहले ​शिवपुरी को सीपरी कहकर पुकारा जाता था। 
  • यह नरवर जिले का एक जंगली गांव हुआ करता था। 
  • यहां आदिवासी समुदाय की सहरिया जनजाति के लोग निवास किया करते थे। 
  • 1899 में माधौ महाराज ने इस जंगल में एक शहर बनाने के प्रोजेक्ट पर काम ​शुरू किया। 
  • यह प्रोजेक्ट 1915 तक चला। तब इसका नाम बदलकर शिवपुरी किया गया और इसे जिला मुख्यालय घोषित किया गया। 
  • सरकारी कामकाज और सरकारी कर्मचारियों के लिए भव्य इमारतें और भवन बनाए गए। 
  • जब सारा देश कच्चे रास्तों पर धूल धूसतरित हुआ करता था, यहां डामर की सड़कें बनाई गईं। 
  • सारा देश परिवहन के लिए बैलगाड़ियों का उपयोग करता था, यहां रेलगाड़ी चलाई गई। 
  • शहर का सौंदर्य बढ़ाने के लिए फ्रांस से फव्वारे, झूमर और साज सज्जा का सामान मंगाया गया।
  • देश जब चिमनियों में टिमटिमाता था, यहां सड़कों पर स्ट्रीट लाइट चमचमातीं थीं। 
  • पेयजल के लिए सांख्य सागर, जाधौ सागर और चांदपाठा जैसी झीलें बनाई गईं। 
  • 1915 में इस शहर की चांदपाठा झील में वोटिंग होती थी। 
  • राजा के आने जाने के लिए विशेष सड़क बनाई गई थी, ताकि आम नागरिकों को कोई असुविधा ना हो। 
  • चारों ओर हरे भरे वनों से घिरा यह शहर शिमला सा ठंडा और दिल्ली सा आधुनिक था। 
  • यह इतना आधुनिक और प्रदूषणमुक्त था कि इसे ग्वालियर राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी बना दिया गया। 
  • इसकी प्रशंसा सारी दुनिया में हुई। दुनिया के तमाम देशों से पर्यटक यहां का विकास देखने आते थे। पर्यटकों की यह आवाजाही आजादी के बाद तक जारी रही। 
  • 25000 की आबादी वाला यह एक ऐसा शहर था, जहां तमाम अकल्पनीय आधुनिक सुविधाओं के साथ साथ पर्यावरण का संतुलन और धार्मिक आस्थाओं का बेजोड़ संगम दिखाई देता था। 
  • इस शहर में राजा के लिए नहीं, बल्कि आम नागरिकों के लिए ऐसी आधुनिक सुविधाएं जुटाई गईं थीं जो उस समय में देश के किसी भी दूसरे शहर में नहीं थीं। 
  • आप इसे भारत की पहली स्मार्ट सिटी कह सकते हैं। महाराष्ट्र का कोल्हापुर शहर इस देश की दूसरी स्मार्ट सिटी कहा जा सकता है। 

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