भोपाल। शहीदों के लिए सरकारी मापदंड कुछ और होंगे लेकिन यदि एक आम आदमी, जनता की जान बचाते हुए मर जाए तो क्या उसे शहीद नहीं कहा जाना चाहिए। यदि हां, तो इस बस ड्रायवर को आप सामाजिक रूप से शहीद का दर्जा दे सकते हैं, जो 29 यात्रियों की जान बचाते हुए मारा गया। इसकी मौत पर कोई नेता सजदा नहीं करेगा, कोई आंसू नहीं बहाएगा क्योंकि वो वोटबैंक नहीं है, लेकिन इस खबर को पढ़ने वाला हर दिल, उसकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना जरूर करेगा। रमजान के दिनों में शहीद हुए रशीद को जन्नत नसीब हो, यह दुआ जरूर करेगा।
खंडवा से कोहदड़ जा रही यात्री बस के ड्राइवर को अचानक सीने में दर्द और घबराहट हुई। सामने से आ रहे ट्रक से दुर्घटना का डर और दर्द की तड़प के बीच ड्राइवर ने बस को सड़क किनारे गड्ढे में उतार यात्रियों की जान बचा ली लेकिन खुद जिंदगी से हार गया। बस में 29 यात्री सवार थे जो कि खंडवा से कोहदड़, टाकली, बगमार की ओर जा रहे थे। ड्राइवर को यात्रियों ने बस के स्टेयरिंग से बाहर निकाल खटिया पर लेटाया, पानी पिलाया दर्द से तड़प रहा ड्राइवर कुछ बाेलना चाह रहा था लेकिन अंतिम बार बोल नहीं पाया। देखते ही देखते चंद मिनट में उसकी सांसें उखड़ गई। मृतक ड्राइवर की शिनाख्त रशीद पिता नाहिद शाह (46) निवासी नागचून रोड, जुम्मन नगर के रूप में की।
दुर्घटना सोमवार दोपहर 2:20 बजे हुई।
खंडवा-कोहदड़ बस क्रमांक एमएच 12 डीटी 7225
कंडक्टर की आंखों देखी
बस में 29 यात्री सवार थे। मानसिंगा तिराहे पर दो मिनट के लिए रशीद भाई ने बस रोकी उन्होंने एक गिलास पानी पीया। आगे बैठे यात्रियों का टिकट काटते हुए मैं (राजेश मराठा कंडक्टर) पीछे की ओर यात्रियों का टिकट चेक कर रहा था। अचानक ही बस लहराने लगी। सामने से ट्रक सहित अन्य वाहन आ रहे थे। रशीद भाई ने रांग साइड होते हुए बस को गड्ढे में उतारी मुझे उन पर गुस्सा आया। कि वह एक अच्छे और सुलझे हुए ड्राइवर होने के बावजूद ऐसी गलती क्यों कर रहे। फिर अचानक पेड़ दिखाई दिया। अगर वह पेड़ में बस घुसा देते तो बड़ा हादसा हो जाता। गड्ढे में बस उतरते हुए यात्री एक दूसरे पर गिरे उनके साथ मैं भी गिरा। रशीद भाई का सिर स्टेयरिंग से चिपका हुआ था। उन्होंने हम सबकी जान बचा ली। कोहदड़ जा रहे यात्री गुलाबचंद ने भी यही बात कही और भगवान को धन्यवाद कहा।
पीछे छोड़ गए 5 बेटियां, 2 बेटे
रशीद की पांच बेटियां व दो छोटे बेटे हैं। दो बेटियों की शादी कुछ माह पहले की। पत्नी अफसाना खरगोन जिले के गोगांवा में रमजान की जकात, सदका लेने के लिए सोमवार सुबह घर से निकली। रशीद के घर 14 साल की बेटी शानू और छोटे भाई बहन जो कि रोजा रखे हुए थे। बस पर जाने से पहले रशीद ने बच्चों के सिर पर हाथ फेर वादा किया था बेटा शाम तक आ जाऊंगा अपने छोटे बच्चों को दो-दो और पांच-पांच रुपए देकर समझाया कि शाम में ड्यूटी से आने के बाद और ज्यादा रुपए ले लेना। रोजे की हालत में शानू और उसके भाई बहनों को रिश्तेदारों ने रशीद की मौत की खबर दिल पर पत्थर रख सुनाई। बेटी शानू की हालत बिगड़ गई। रिश्तेदार उसे जिला अस्पताल लेकर आए। यहां पोस्टमार्टम की प्रक्रिया पूर्ण कर शव परिजन को सौंपा। रशीद के पिता और भाई इंदौर-भोपाल में रहते हैं।