जोखिम में जान डालकर निकालते हैं 2 बूंद जिंदगी की

भोपाल। सरकारें कितना भी विकास कर लें परंतु कड़वा सच यही है कि पेयजल जैसी मूलभूत सुविधा 100 प्रतिशत आम नागरिकों के पास पहुंच नहीं पाई है। हर साल मप्र के कई शहरों में जलसंकट का हाहाकार मचता है और बारिश की बूंदों के साथ थम जाता है। 1950 से आज तक किसी भी सरकार ने जलसंकट को पूरी तरह समाप्त कर देने के लिए कोई प्रोजेक्ट शुरू नहीं किया। 

ताजा फोटो मप्र के सागर जिले में स्थित बीना से आई है। ग्राम बेथनी में स्थित कुंओं में नाम मात्र का पानी बचा है। अधिकांश कुएं सूख चुके हैं। इस कुएं में भी कचरा होने से पीने का पानी जुटाने के लिए ग्रामीणों को कुएं में उतरना पड़ रहा है। करीब 50 फीट गहरे कुएं में जान जोखिम में डालकर बच्चों से लेकर बड़े तक इस तरह पानी भर रहे हैं।

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