अंगदान करने वाले रामेस्वर खेड़े की पत्नी का अभिनन्दन करते इंदौर कमिश्नर |
YADVENDRA SINGH/खरगोन। खरगोन जिले के बलवाड़ी गांव के रामेश्वर खेड़े ने लीवर किडनी आँखे दान कर 4 जिंदगियो को बचाया लेकिन आज उसी के परिवार के 16 वर्षीय भांजे राजेन्द्र का लीवर खराब हुआ तो वह दर-दर की ठोकरे खा रहा हैं।
पहली बार इंदौर में ग्रीन कॉरिडोर बना कर लीवर 2 किडनी प्रत्यारोपण के लिए वेदांत हॉस्पिटल पंहुचा कर इंदौर का नाम रोशन करने वाला परिवार आज खुद लीवर को मोहताज है। अंग प्रत्यारोपण की कहानी लिखने वाले अब उस दुःखी परिवार की सुध तक नही ले रहे।
इतना ही नही वह आज प्रशासन की अनदेखी का शिकार भी हो रहा है। अंग दान करने वाले रामेश्वर खेड़े का परिवार। रामेस्वर खेड़े का सगा भांजा ( बहन का लड़का) 16 वर्षीय राजेन्द्र सोहनी का 90 प्रतिशत लीवर खराब है। 9वी क्लास का छात्र लीवर के लिए दर-दर की ठोकरे खा रहा हे।
16 वर्षीय राजेन्द्र का लीवर बदलने में आज कोई सहयोग नही कर रहा हे। सूबे के सबसे बड़े शासकीय अस्पताल MY की 5 वीं मंजिल पर 24 नंबर जनरल वार्ड में भर्ती इस बच्चे राजेन्द्र का इलाज तक नही हो पा रहा हे और न ही उसे एम्स दिल्ली रेफर किया जा रहा है।
गरीब रेखा के नीचे जीवनयापन करने वाले मजदूरी करने वाले इस बालक के परिवार को MY में डॉक्टर और अधीक्षक द्वारा एम्स दिल्ली की रेफर सिलिप तक नही दी जा रही। यदी इसे एम्स भेजा जाय तो गरीबी रेखा के नीचे BPL कार्ड धारी इस परिवार के बच्चे की मुफ़्त इलाज कर जान बचाई जा सकती है।
अंग दान करने वाले इस गरीब परिवार को शायद ही कोई लीवर दान करे ? लेकिन इस बच्चे की माँ अपने लीवर का हिस्सा अपने जिगर के टुकड़े को देने को तैयार है लेकिन ट्रांप्लान्ट के लिए उस के पास फूटी कोडी भी नही है।