BE के बाद अब B.ed कॉलेज भी संकट में, 20 हजार सीटें खाली

भोपाल। एडमिशन घटने के कारण अधिकतर इंजीनियरिंग कॉलेजों ने मांग को देखते हुए बीएड, डीएड पाठ्यक्रम शुरू कर दिए। पिछले तीन साल में बीएड कॉलेजों में इजाफा भी हुआ, लेकिन अब इनमें भी इंजीनियरिंग जैसे हालात बनना शुरू हो गए हैं। आलम यह है कि बीएड कॉलेजों में 61 हजार सीटें हैं। लेकिन बीएड प्रवेश परीक्षा में ही करीब 41 हजार उम्मीदवार शामिल हुए। अगर ये सभी एडमिशन लेते हैं तो भी बीएड की करीब 20 हजार सीटें खाली रह जाएंगी। 

बताया जा रहा है कि अचानक अधिक संख्या में बीएड कॉलेज खुलने और प्रवेश परीक्षा में कम उम्मीदवारों के बैठने से ऐसे हालात बन रहे हैं। पिछले साल ही बीएड कॉलेजों की 9 हजार से अधिक सीटें खाली रह गईं थी।

गौरतलब है कि प्रदेश में वर्ष 2012 में बीएड के करीब 200 कॉलेज थे। लेकिन एडमिशन घटने पर अधिकतर इंजीनियरिंग कॉलेजों ने बीएड, डीएड पाठ्यक्रम शुरू कर दिए। देखते ही देखते तीन साल में बीएड कॉलेजों की संख्या 566 पर पहुंच गई। इससे इनकी सीटें बढ़कर रकीब 61 हजार हो गई हैं।

यह हो रहा असर
प्रदेश में वर्ष 2004 से 2008 के बीच 150 से अधिक इंजीनियरिंग कॉलेज खुले हैं। इससे इंजीनियरिंग कॉलेजों की संख्या 200 से अधिक हो गई। इसके बाद वर्ष 2009 से इंजीनियरिंग की सीटें नहीं भर पा रही हैं और अब इंजीनियरिंग कॉलेजों को सीटें सरेंडर करना पड़ रही हैं। इधर, बीएड कॉलेजों की संख्या भी इसी तरह लगातार बढ़ रही है। इससे आने वाले समय में बीएड की स्थिति भी खराब हो सकती है।

प्रवेश परीक्षा का कोई मतलब नहीं
पाठ्यक्रम की मांग अधिक होने की वजह से बीएड कॉलेज बढ़ गए। अब इनमें भी एडमिशन नहीं हो रहे हैं। इससे अब इन कॉलेजों की स्थिति भी खराब होने लगी है। ऐसे में प्रवेश परीक्षा का कोई मतलब नहीं रह गया है।
मुबीन खान, प्राचार्य, श्री इंस्टीट्यूट

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!
$("#merobloggingtips-before-ad .widget").each(function () { var e = $(this); e.length && e.appendTo($("#before-ad")) }), $("#merobloggingtips-after-ad .widget").each(function () { var e = $(this); e.length && e.appendTo($("#after-ad")) });