अध्यापक नेताओ, या तो एकजुट हो जाओ, या बहिष्कार के लिए तैयार रहो

अरविन्द रावल। यह वक्त मुरली, मनोहर, ब्रजेश, भरत या जगदीश को गाली देने या कोसने का नही है। यदि इन नेताओं को गाली देने से अध्यापकों की समस्या का हल हो जाता तो अब तक कब से अध्यापको की समस्याओ का निराकरण हो जाता। यह वक्त इन सभी नेताओं को एकजुट करके प्रदेश के अध्यापकों की मांगो का सरकार से निराकरण करवाने का है। 

प्रदेश के सभी संघो के नेताओं व अध्यापक साथियो से निवेदन है कि पिछले सारे गिला शिकवे को भुलाकर अध्यापक हित में अध्यापक संघो के नेताओ को एकजुट करे। अध्यापक नेता एकजुट होकर सरकार से छटे वेतनमान की विसंगति दूर करवाकर अध्यापको की अन्य प्रमुख मांगो का निराकरण करवाये। प्रदेश के मुखिया से सारे अध्यापक नेता मिलकर सिर्फ दो टूक बात करें कि 24 घण्टे में अध्यापकों की छटे वेतनमान की विसंगति दूर कर मांगो का निराकरण करे अन्यथा प्रदेश भर के अध्यापक स्कूलों में तालाबन्दी करके आंदोलन करेगे।

अध्यापक हित में जो संघ या उसके प्रमुख एकजुट नही होते हैं और अपना हित साधने के लिए अध्यापकों में भ्रम फेलाते हैं तो ऐसे नेताजी का ओर उनके संघो का सभी अध्यापक खुले मंच से बहिष्कार करे। इस बार हम सभी अध्यापको का एक ही संकल्प होना चाहिए कि प्रदेश सरकार 24 घण्टे में या तो अध्यापको की समस्याओ का हल करे हो या फिर प्रदेश का एक एक अध्यापक आंदोलन में आहुति देगे।

कल प्रदेश के मुख्यमंत्रीजी स्वदेश लोट रहे हैं। प्रदेश के सारे अध्यापक संघ के नेताओ से निवेदन है अविलम्ब भोपाल में एकत्र होकर मुख्यमंत्रीजी से मुलाकात करके छटे वेतनमान की विसंगति से प्रदेश के अध्यापको के उपजे आक्रोश से अवगत करवाकर 24 घण्टे में सरकार से विसंगति दूर करवाने कीे दो टूक बात करें।

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