मान. मुख्यमंत्री जी ने 24 दिसंबर को मुम्बई से प्रेस कांफ्रेंस कर अध्यापक संवर्ग को छठवाँ वेतनमान देने की घोषणा की, जिसके लिए 1125 करोड रू.व्यय बताया गया, केबिनेट की मुहर लगी, और बहुत जद्दो-जहद के बाद 31 मई 2016 को आदेश आ गया, जिसमें प्रदेश के मुख्यमंत्री ने अध्यापकों के साथ ऐसा छल किया जो आज तक किसी प्रदेश में नही हुआ होगा। जिसमें अध्यापकों का वेतन, मिल रहे वेतन से कम हो गया, साथ ही 15000 से 30000 रू.तक की वसूली भी करने की तैयारी कर ली गई।
इस आडर से ऐसा लगने पता चलने लगा कि मान. मुख्यमंत्री जी अध्यापको को 1125 करोड रूपये दे रहे है कि उनसे वसूल रहे है, ऐसा कहा जाने लगा की उज्जैन महाकुंभ का टैक्स वसूला जा रहा है? मान.मुख्यमंत्री जी की केबिनेट, और स्वयं केबिनेट प्रमुख होने के बाद, केबिनेट में पास हुए आडर को प्रशासनिक अधिकारियों ने बदल दिया, 2 लाख 94 हजार अध्यापको के साथ इतना बडा धोखा कि वेतन बढने के अलावा वेतन कम कर दिया गया हो, और किसी भी अधिकारियो पर कोई कार्यवाही नही।
इससे ऐसा लगता है कि अधिकारियों ने मान.मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी को भरोसे में लेकर प्रदेश के अध्यापक संवर्ग के साथ धोखा किया और जारी हुए आदेश के प्रति बढता अध्यापको का आक्रोश और न्यायालय जाने की तैयारी कर रहे। अधयापको को रोकते हुए कुछ ही दिन में छठवाँ वेतन मान के शुद्ध विसंगती पूर्ण आदेश को स्थगित किया गया। परंतु इसके लिए जिम्मेदार अधिकारी जो 15-20 वर्षो से लोक शिक्षण संचालनालय भोपाल में जमें है उन पर कोई कार्यवाही नही की गई। मुख्यमंत्री का संरक्षण है इनको, दिया गया छठवा वेतनमान की विसंगती जो वित्त विभाग के पारंगत अधिकारियो ने बनाई निम्न है,
(१) अध्यापको को दिया गया छठवाँ वेतन मान में मूल वेतन में ग्रेड पे जोडा ही नही गया और मूल वेतन पर ही दो साल में एक वेतन वृद्धि दे दी गई।
(२) दिया गया छठवाँ वेतनमान में दो साल में एक वेतन वृद्धि दी गई।
(३) अध्यापको को पदोन्नति, और क्रमोन्नति होने पर अध्यापक संवर्ग को अगले वेतन मान दिया जाना था, वेतन बढना था, जबकि इस आदेश से वर्तमान में मिल रहे वेतन से वेतन और कम हो गया।
(४) इस आदेश से वरिष्ठ अधयापकों का वेतन तो कम हुआ ही, इनकी पदोननति-क्रमोन्नति का आगे का वेतन मान की गणना ही नही की गई। साथ ही इनकी पदोन्नति पर पूरी व्यवस्था ही मौन है। इस आदेश को देखकर कोई भी व्यक्ति यही कहेगा कि अंधेर नगरी और चौपट राजा की कहावत सही लागू होती है। इतनी बडी चूक कि सहा.अध्यापक, अध्यापक, और वरिष्ठ अध्यापक किसी को नही बख्शा, जिसके पास वित्त के बडे-2 ख्यातिवान अधिकारी हो?? यहाँ इस प्रदेश में उक्त कहावत मुखिया पर सही साबित होती है, मान.शिक्षा मंत्री जी कहते है आदेश स्थगित हुआ मानवीय चूक हो गई। मान.मुख्यमंत्री जी से निवेदन है कि छठवाँ वेतनमान का आदेश आपके वित्त अधिकारीगण नही बना पाए रहे है तो कृपया अध्यापको को एक मौका दे 1-2 घंटे में छठवाँ वेतनमान का आदेश बनाकर आपकी सेवा में दे दिया जाएगा....?
नित नये आदेश शिक्षक -अध्यापको के जारी हो रहै जैसे-
(१) सतना और दूसरे जिलो में सुबह 6-8 बजे तक अध्यापको की ड्यूटी गांव शहरों में खुलें में शौच करता हुआ व्यक्ति कोई भी हो फोटो खींचों और उसे फूल दो, फोटो खींचकर नेट पर लोड करो?
(२)अध्यापको की चाइल्ड केयर लीव को नही दिया जा रहा और हो सकता है कि 13 दिन की सीएल (आकस्मिक अवकाश) भी ये सरकार रोक लें??
(३) ई अटेन्डेन्स जिलों के सभी कलेक्टोरेट में, राजस्व विभाग में, मंत्रालय में वहां प्राथमिकता से शुरू होना चाहिए, क्योकि आप यहां जाकर रोज नजारा देखे कि यहां के कर्मचारी टेबल पर तो कभी मिलते ही नही कुछ को छोड दें 10-5:30 तक नाश्ते की दुकानों पर ही मिलते हैं,
अध्यापक संवर्ग ने पिछले साल, इस साल, प्राइवेट स्कूल से अच्छा रिजल्ट दिया अनेको गैर शिक्षिकीय कार्य करने के बाद भी, फिर भी ई-अटेंडेनस शिक्षको-अध्यापको पर ही लागू क्यों ? यदि. मान. मुख्यमंत्री जी ने अविलंब बिना विसंगती छठवाँ वेतनमान के आदेश शीघ्र जारी नही किये तो संयुक्त मोर्चा जुलाई में विधान सभा का घेराव करने आ रहा है, 28 तारीख से क्रमिक अनशन भोपाल लालघाटी खेडापति हनुमान मंदिर में शुरू।
अध्यापक संयुक्त मोर्चा म.प्र
मनोहर दुबे, ब्रजेश शर्मा, राकेश नायक
९४२५६९०७९२, ९४२४४२५३६८