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तेल और दाल के मामले में लातूर का पूरे देश में नाम है लेकिन पानी की लगातार होती कमी नें तेल फैक्ट्रियों पर ताले लगा दिए। लातूर की तुअर यानि अरहर की दाल पूरे देश में मशहूर है, लेकिन पानी ने इस दाल का स्वाद भी खराब कर दिया है। साल 2000 से 2010 तक लातूर शहर ने बहुत तेजी से तरक्की की। दस साल में शहर में उघोग घंघे औऱ खासकर रियल स्टेट मार्केट ने खूब तरक्की की लेकिन पिछले डेढ़ साल से आलम ये है कि लातूर में कंस्ट्रक्शन का काम पूरी तरह से बंद है। पांच साल पहले लातूर में मकान की कीमत दिल्ली एनसीआर में मकान खरीदने जितनी पहुंच गई थी, लेकिन अब अधूरे और खाली पड़े मकानों के खरीददार नहीं हैं। लातूर में क़रीब 150 छोटे और बड़े अस्पताल हैं जहां पानी की भारी किल्लत है। पानी की कमी होने की वजह से लातूर के अस्पतालों में इलाज के लिए जाने वाले मरीज़ों की संख्या में 50 फीसदी की कमी आई है।
पिछले महीने लातूर के सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पतालों में पानी की कमी की वजह से डॉक्टर्स को 12 सर्जरी टालनी पड़ीं। लातूर में बोरवेल और टैंकर से जो पानी मिल भी रहा है वो पीने लायक नही है लेकिन लोग मजबूरी में पी रहे है और डायरिया और पथरी जैसी बिमारियों के शिकार बन रहे हैं।
देश में कहीं भी लातूर जैसे हालात हो सकते हैं,किसी भी शहर में विकास का पहिया थम सकता है | बारिश का पानी कैसे बचे? बारिश के अलावा पानी कैसे मिले इस पर गहन सोच की जरूरत है वरना मेक इन इण्डिया का कोई मायना नहीं होगा |
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
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