उत्तर प्रदेश : चुनावी जाजम बिछने लगी

राकेश दुबे@प्रतिदिन। वर्ष 2014 के लोक सभा चुनाव में करारा झटका खाने के बाद से ही बसपा मिशन 2017 की तैयारियों में जुटी है| सबसे पहले उसने उम्मीदवार तलाश लिए हैं| हार-जीत के समीकरणों के आधार पर काट-छांट चल रही है| बसपा सारे समीकरण अपने पक्ष में करने में लगी है| कुछ चुनावी सर्वेक्षणों ने बसपा के पक्ष में माहौल बता दिया है| सपा सरकार के खिलाफ लगातार माहौल बन रहा है| इतने विशाल राज्य में सपा सरकार उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी है’कानून व्यवस्था में सरकार फेल हो रही है| बसपा को सत्ता-विरोधी समीकरण अपने पक्ष में जाने की उम्मीदें हैं|

यूँ तो उत्तर प्रदेश में 2009 के बाद लगातार बदल रहे राजनीतिक समीकरणों के चलते बसपा सुप्रीमो उतने भरोसे में नहीं बैठी हैं, जितना उनके साथी नेता या कार्यकर्ता|  राज्य में भाजपा की लगातार बढ़ रही सक्रियता और खुद सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव की राजनीति से बसपा  काफी चौकन्नी हैं|कांग्रेस भी नए सिरे से सक्रियता बढ़ा रही है, और राज्य में हालात जिस ओर जा रहे हैं, उससे फिर से ध्रुवीकरण का खतरा बनता जा रहा है|

केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा ने उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव के लिए जोरदार तैयारियां आरंभ कर दी हैं|  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अतिशय सक्रियता तथा विकास के तमाम लोक लुभावने वायदों ने राजनीतिक समीकरण इस कदर बदल दिया है कि बसपा बहुत सशंकित है| अगर राजनाथ सिंह को मुख्यमंत्री का दावेदार बताते हुए भाजपा ने तुरुप का पत्ता चल दिया तो शायद बसपा की परेशानी बढ़ जाएगी| हालांकि प्रांतीय सत्ता से भाजपा फरवरी, 2002 से ही बाहर है, और राजनाथ सिंह उसके आखिरी मुख्यमंत्री थे| अगर भाजपा अपने स्टार प्रचारकों के साथ युद्ध में कूदती है, तो मायावती की परेशानी बढ़ जाएगी जिनकी पार्टी में एकमात्र स्टार प्रचारक वही हैं. वर्ष 2014 में भाजपा ने जिस तरह उत्तर प्रदेश में 71 लोक सभा सीटो पर विजय हासिल की थी, और बसपा शून्य पर आ गई, उस झटके से मायावती अब तक उबर नहीं पाई हैं|

वर्ष 2007 तक के हर चुनावों में बसपा का वोट बढ़ता रहा था| मायावती के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश में 2007 में करिश्मा हुआ था, लेकिन अगर बारीकी से विश्लेषण करें तो आज समीकरण पहले जैसे नहीं हैं|सोशल मीडिया से लेकर संचार क्रांति चुनाव में अधिक कारगर भूमिका में हैं, और दलित समाज भी अब मौन न रह कर सवाल पूछने लगा है| इसका फायदा भी है, और नुकसान भी. साथ ही तमाम नई ताकतें और नया नेतृत्व भी इस बीच में अलग-अलग इलाको में उभर रहा है|
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।        
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
पूर्व में प्रकाशित लेख पढ़ने के लिए यहां क्लिक कीजिए
आप हमें ट्विटर और फ़ेसबुक पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं।

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!