
मानसून से पहले शहर के तालाबों के गहरीकरण और इसके किनारों की सफाई की निगम ने पिछले दिनों योजना बनायी थी लेकिन उस पर अमल नहीं किया गया। गौरतलब है कि बड़े तालाब की सफाई और इसके गहरीकरण का काम 2009 में कराया गया था उसके बाद इस की ओर किसी ने भी ध्यान नहीं दिया। बारिश से पहले केवल बड़ा तालाब ही नहीं बल्कि शहर के अन्य नष्ट होते तालाबों के किनारों की सफाई कर उसका गहरीकरण कर दिया जाता तो उससे अधिक से अधिक जल का संग्रहण किया जा सकता था।
नहीं चला गहरीकरण का अभियान
अपर लेक के जलग्रहण क्षेत्र में जल संसाधन विभाग द्वारा करीब 25 लाख रुपए की लागत की कार्ययोजना बनायी गयी थी। जिसमें बड़ी झील को बचाने के लिये जल संसाधन विभाग के द्वारा तालाब गहरीकरण का एक विशेष अभियान चलाया जाना जाना था जिसके तहत खानूगांव क्षेत्र में तालाब से करीब 5 लाख घनमीटर मिट्टी निकाली जानी थी, ताकि इस गहरीकरण कार्य से बरसात के दिनों में बड़े तालाब में पर्याप्त मात्रा में अतिरिक्त जल भराव किया जा सकता था।
गाद भरी है कुलांस नदी की राह में
बड़े तालाब के संरक्षण और संवर्धन की दृष्टि से इस तालाब के जलग्रहण क्षेत्र जिसमें कोलांस नदी तथा उसमें आस-पास के ग्रामों से बहकर आने वाले नालों की गाद को निकाल कर उसको साफ किया जाना था। कई वर्षों से कोलांस नदी की सफाई न होने की वजह से इसमें कई जगह गाद भर गई है और इसके पाट भी छोटे हो गये हैं। पूर्व में भोज वेटलैण्ड परियोजना के अंतर्गत कोलांस नदी से मिलने वाले नालों पर स्टापडेम और जलीय संरचनायें बनाई गई थी। इन संरचनाओं के निर्माण को करीब 10 वर्ष से अधिक का समय पूर्ण हो चुके हैं तथा समुचित रखरखाव के अभाव में अधिकतर संरचनायें क्षतिग्रस्त हो चुकी है जिनके कारण नदी का पूरा पानी तालाब तक नहीं पहुंच पाता है।