भोपाल। पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सांसद श्री कांतिलाल भूरिया ने मुख्यमंत्री के बयान ‘मेरे जीते जी नहीं खत्म हो सकता आरक्षण’ पर पलटवार करते हुए कहा कि शिवराजजी हवा-हवाई बातें कर अब आदिवासियों और दलितों को छलने का धोखा देने का प्रयास ना करें, क्योंकि पदोन्नति में आरक्षण का मामला उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन है और ऐसी स्थिति में निर्णय सिर्फ उच्चतम न्यायालय ही कर सकता है।
सांसद श्री भूरिया ने कहा कि मुख्यमंत्री ‘कोई माई का लाल मेरे रहते आरक्षण समाप्त नहीं कर सकता’ क्या उच्चतम न्यायालय को खुली चुनौती नहीं है। एक तरफ तो मध्यप्रदेश शासन उच्च न्यायालय के आदेश के तत्काल बाद पदोन्नति में आरक्षित पदों की समीक्षा करने का काम कर आरक्षित वर्ग के हितों पर कुठाराघात करने का काम करता है, वहीं मुख्यमंत्री इस तरह ही नौटंकी कर आरक्षित वर्ग के लोगों को भरमाने का काम करते हैं। मुख्यमंत्री का यह कृत्य क्या प्रदेश के आदिवासियों और दलितों के साथ धोखाधड़ी नहीं है।
सांसद श्री भूरिया ने कहा कि प्रदेश के मंत्री डॉ. गौरीशंकर शेजवार की अध्यक्षता में जिस रिव्यु कमेटी बनाने की मुख्यमंत्री बात कह रहे हैं, उसे बनाने का उन्हें अधिकार ही नहीं है, क्योंकि प्रकरण उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन है और आदिवासी, दलित और आरक्षित वर्ग के लोग अब इतने नासमझ नहीं है जो घोषणावीर मुख्यमंत्री के लॉलीपॉप से भ्रमित हो जायेंगे।
श्री भूरिया ने कहा कि यह स्पष्ट हो चुका है कि प्रदेश की भाजपा सरकार पदोन्नति में आरक्षण की विरोधी है और इस वर्ग के सभी अधिकारियों, कर्मचारियों को उनके हक से वंचित करने का षड्यंत्र कर रही है, जबकि कांग्रेस की सरकार ने इस वर्ग के हितों की रक्षा करते हुए पदोन्नति में आरक्षण का नियम बनाया था।