सरकार चाहती है बीयर नहीं शराब पीए लोंग

बेंगलुरु। आप कभी अपने पसंदीदा रेस्‍टोरेंट या बार में गए और आपको वेटर यह कह दे कि बीयर खत्‍म हो गई है तो आपको आश्‍चर्य नहीं होना चाहिए। ऐसा संभव हो सकता है क्‍योंकि एक्‍साइज डिपार्टमेंट रेस्‍टोरेंट और शराब की दुकान के मालिकों को बीयर का सप्‍लाई कम करते हुए ज्‍यादा इंडियन-मेड फॉरेन लिकर (आईएमएल) खरीदने को मजबूर कर रही है। शराब पर ड्यूटी राज्‍य सरकारों के लिए सबसे बड़ी राजस्‍व अर्जकों में से एक है। इसलिए संचालकों को ज्‍यादा आईएमएल बेचने के लिए कहा जा रहा है।

आईएमएल की बिक्री 2013-14 में 15.89 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, लेकिन 2014-15 में 7.58 प्रतिशत नीचे रही। जब राजस्‍व उम्‍मीद से कम रहा तो सरकार की तरफ से जाहिर तौर पर लाइसेंस धारकों को ज्‍यादा आईएमएल बेचने को लेकर दबाव बना है।

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नेशनल रेस्‍टोरेंट एसोसिएशन के बेंगलुरू चेप्‍टर के प्रमुख आ‍शीष कोठारे ने बताया ' अगर हम आईएमएफएल के 50 लीटर खरीदते हैं, तो वे हमें केवल 10 लीटर बीयर देते हैं क्‍योंकि आईएमएल पर ज्‍यादा टैक्‍स लगाया जाता है।'

कर्नाटक के फेडरेशन ऑफ वाइन मर्चेन्‍ट्स एसोसिएशन के सदस्‍य नागेश बाबू ने कहा कि अधिकारी शराब दुकान मालिकों को परेशान कर रहे हैं। वे कहते हैं 'हम जो मांगते हैं वे हमें नहीं देते हैं। बीयर पर ड्यूटी कम है। सरकार आईएमएल से ज्‍यादा राजस्‍व कमाना चाहती है।'

कर्नाटक स्‍टेट बेवरेजेस कॉर्पोरेशन जिसमें एक्‍साइज डिपार्टमेंट के कर्मचारी भी शामिल हैं, राज्‍य में शराब का एकमात्र नियामक और वितरक है। एक्‍साइज डिपार्टमेंट को राजस्‍व के लक्ष्‍य को पूरा करने की चिंता है। बार और शराब की दुकानों के लिए इसके चलते ग्राहकों को असंतुष्‍टी हासिल होगी।

कोठारे ने कहा 'ज्‍यादा आईएमएल का मतलब हमें ग्राहकों को बीयर ज्‍यादा लेने को मजबूर करना होगा। आईएमएलएफ में अल्‍कोहल की मात्रा अधिक है। यह बीयर से ज्‍यादा नुकसानदायक है।'

नाम न बताने की शर्त पर ब्रिग्रेड रोड स्थित बार के मालिक ने बताया 'अन्‍य पेय के मुकाबले युवा बीयर ज्‍यादा पसंद करते हैं। इसके कारण हमारे व्‍यापार को नुकसान हो रहा है।'

वे कहते हैं 'एक्‍साइज डिपार्टमेंट सोचता है कि हम बार और रेस्‍टोरेंट चलाते हुए बहुत पैसा कमा रहे हैं, जो कि सही नहीं है। पहले डिपार्टमेंट हमें ज्‍यादा स्‍टॉक लेने के लिए दबाव डाल रहा था। अब वे हमें आईएमएल ज्‍यादा बेचने के लिए मजबूर कर रहे हैं।'

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