भोपाल। पदोन्नति में आरक्षण को लेकर अब सरकार ने एटार्नी जनरल मुकुंद रोहतगी से सलाह मांगी है। सामान्य प्रशासन विभाग ने पत्र भेजकर पूछा है कि अनारक्षित पदों पर पदोन्न्ति कर सकते हैं या नहीं। एकल पद है तो उस पर पदोन्नति के लिए प्रक्रिया बढ़ा सकते हैं? सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ याचिका की सुनवाई करते हुए यथास्थिति बनाए रखने के लिए कहा है, इसका मतलब क्या है। उधर, राज्य लोक सेवा आयोग ने पदोन्नतियों के लिए प्रस्तावित विभागीय पदोन्नति समितियों की बैठक पर स्थिति साफ होने तक रोक लगा दी है।
मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक सामान्य प्रशासन विभाग ने मुख्य सचिव अंटोनी डिसा की इजाजत लेकर मंगलवार को एटार्नी जनरल को पत्र भेजा। इसमें कहा गया कि पदोन्नति में आरक्षण नियम को निरस्त करने से पदोन्न्ति की प्रक्रिया पूरी तरह से रुक गई है। सेवानिवृत्त होने से कई पद खाली हैं।
वहीं, इनमें कई पद अनारक्षित वर्ग के लिए हैं। विभाग ने महाधिवक्ता कार्यालय से पदोन्नति करने और यथास्थिति को परिभाषित करने पत्र लिखा था, पर कार्यालय ने मार्गदर्शन देने की जगह सुप्रीम कोर्ट में मामले होने का हवाला देते हुए एटार्नी जनरल से सलाह लेने के लिए कहा था।
करीब 10 दिन पहले विभाग ने मुख्य सचिव को पत्र का प्रारूप बनाकर अनुमति के लिए भेजा था। सोमवार को अनुमति मिलने के बाद विभाग ने एटार्नी जनरल के ऑफिस पत्र भेजा है।
पदोन्नति में आरक्षण को लेकर स्थिति साफ नहीं होने के मद्देनजर राज्य लोक सेवा आयोग ने पदोन्नति के प्रस्तावित सभी विभागीय पदोन्नति समिति की बैठकों पर रोक लगा दी है। सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के पदोन्नति में आरक्षण नियम को रद्द करने के फैसले पर यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश के मद्देनजर कोई भी विभाग विवाद में नहीं पड़ना चाहता है।
गृह, सामान्य प्रशासन 'कार्मिक" सहित कुछ विभागों ने पदोन्नति को लेकर मार्गदर्शन मांगा था, लेकिन विभाग ने भी इंकार कर दिया। दरअसल, पूरे मामले को लेकर असमंजस है, इसलिए सामान्य प्रशासन विभाग भी हाथ डालने से कतरा रहा है। वहीं, बिना मार्गदर्शन लिए वाणिज्य एवं उद्योग विभाग ने रजिस्टार फर्म्स एंड सोसायटी के एकल पद पर आलोक नागर की सशर्त पदोन्नति कर दी।