
सूत्रों के मुताबिक प्रदेश में इस समय एक लाख पंद्रह हजार से अधिक पुलिसकर्मी काम कर रहे है। लेकिन इनमें से केवल चालीस हजार पुलिसकर्मियों के लिए ही सरकारी आवास उपलब्ध है। मैदानी पुलिस अधिकारियों, कर्मचारियों और आरक्षक स्तर के कर्मचारियों के सामने आवासों की कमी के चलते निजी किराए के आवासों में रहने की मजबूरी है। इन कर्मचारियों का रात-दिन वास्ता खूंखार अपराधियों से होता है।
ऐसे में सरकारी मकान एक स्थान पर रहने से इनके परिवारों को भी पर्याप्त सुरक्षा मिलती है लेकिन निजी किराए के आवासों में रहने पर इन पुलिसकर्मियों को अपने परिवारों की भी चिंता सताती रहती है।