नईदिल्ली। मथुरा हिंसा में मारे गए एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी की जान बच सकती थी अगर उनके साथी कायर पुलिस वाले उन्हें अकेला छोड़कर भागे नहीं होते। गुरुवार शाम को जब मुकुल द्विवेदी जवाहरबाग़ में अतिक्रमण हटाने गए थे उस समय उनके साथ आठ पुलिसकर्मी थे, लेकिन जब घात लगाए रामवृक्ष यादव के गुर्गों ने हमला बोला तो सभी सहयोगी पुलिसकर्मी उन्हें छोड़ मौके से फरार हो गए। कहा जा रहा है कि अगर पुलिसवालों ने साहस दिखाया होता तो मुकुल आज जिंदा होते।
अपनी जांबाजी के लिए मशहूर मुकुल को उनके साथियों ने ही दगा दे दिया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि उनकी हत्या बेरहमी से पीट-पीटकर कर की गई थी। उनके सर की कई हड्डियां टूटी हुई थीं। लेकिन पूरे मामले में चौंकाने वाली बात यह है कि अभी तक उन कायर पुलिसकर्मियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है औऱ न कोई अधिकारी अभी तक सस्पेंड हुआ है, जो एसपी को अकेला छोड़कर भाग गए थे।
इस मामले में वरिष्ठ अधिकारियों की लापरवाही लगातार चर्चा का केंद्र बनी हुई है। जब यह आॅपरेशन चल रहा था एसएसपी और डीएम आराम कर रहे थे। वो आॅपरेशन की मॉनीटरिंग तक नहीं कर रहे थे। उन्हे पता ही नहीं चला कि बवाल इतना बड़ा हो गया।